तीन दिनों के अंदर रोके विज्ञापन...बाबा रामदेव को HC से बड़ा झटका, कोर्ट ने सुनाया पतंजलि को फरमान
दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को बड़ा झटका देते हुए उसके च्यवनप्राश विज्ञापन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आदेश दिया कि तीन दिनों के भीतर वह विज्ञापन हटाया जाए, जिसमें अन्य ब्रांडों को ‘धोखा’ बताया गया था.

नई दिल्ली : योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने आदेश दिया है कि तीन दिनों के भीतर पतंजलि अपने उस च्यवनप्राश विज्ञापन को सभी माध्यमों से हटाए, जिसमें अन्य सभी ब्रांडों को “धोखा” कहकर पेश किया गया था. न्यायमूर्ति तेजस करिया ने यह आदेश डाबर इंडिया लिमिटेड बनाम पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड मामले की सुनवाई के दौरान दिया.
तीन दिनों में विज्ञापन हटाने का आदेश
डाबर इंडिया की शिकायत
डाबर इंडिया ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि पतंजलि का यह विज्ञापन उसके प्रमुख उत्पाद डाबर च्यवनप्राश को बदनाम करने की एक सोची-समझी कोशिश है. विज्ञापन में बाबा रामदेव उपभोक्ताओं से कहते दिखाई दिए कि “च्यवनप्राश के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है” और अन्य सभी ब्रांडों को ‘धोखा’ कहा गया था. वहीं पतंजलि के उत्पाद को “आयुर्वेद की असली शक्ति देने वाला असली च्यवनप्राश” बताया गया.
61% हिस्सेदारी डाबर च्यवनप्राश के पास
डाबर का कहना था कि इस विज्ञापन से न केवल उसके ब्रांड की साख को नुकसान पहुंचता है, बल्कि यह संपूर्ण च्यवनप्राश कैटेगरी को ही अपमानित करता है. कंपनी ने बताया कि 1949 से बाजार में 61% हिस्सेदारी डाबर च्यवनप्राश के पास है, और यह उत्पाद उपभोक्ताओं के भरोसे पर टिका हुआ है.
अन्य च्यवनप्राश ब्रांडों को ‘धोखा’ कैसे
पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने पतंजलि से पूछा था कि वह अन्य च्यवनप्राश ब्रांडों को ‘धोखा’ कैसे कह सकता है. जस्टिस तेजस करिया ने कहा था कि किसी कंपनी को अपने उत्पाद की तुलना करने का अधिकार है, लेकिन दूसरों का अपमान करने का अधिकार नहीं है. अदालत ने स्पष्ट कहा, “आप कह सकते हैं कि आपका उत्पाद सर्वश्रेष्ठ है, लेकिन दूसरों को धोखा नहीं कह सकते, क्योंकि ‘धोखा’ का अर्थ छल और धोखाधड़ी होता है.”
रामदेव का मतलब “साधारण” से था, न कि...
पतंजलि के वकील ने सफाई दी कि रामदेव का मतलब “साधारण” से था, न कि “धोखाधड़ी” से, लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया. जस्टिस करिया ने निर्णय में कहा कि यह विज्ञापन न केवल डाबर बल्कि सभी च्यवनप्राश निर्माताओं के प्रति अनुचित टिप्पणी है और इसे प्रसारित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.


