'प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार की नाकामी', सपा डेलिगेशन को संभल नहीं जाने देने पर भड़के अखिलेश
Sambhal violence: सपा का प्रतिनिधिमंडल आज शनिवार (30 नवंबर) को संभल जाएगा. यूपी के नेता विपक्ष माता प्रसाद की अगुवाई में समाजवादी पार्टी के 5 सांसद समेत 15 नेता संभल जाएंगे, पीड़ितों से मुलाकात कर अपनी रिपोर्ट सपा मुखिया अखिलेश यादव को देंगे.
Sambhal violence: संभल हिंसा का आज सातवां दिन है और स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है. इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) का एक 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को संभल जाएगा. सपा का यह डेलिगेशन शाही जामा मस्जिद परिसर में अदालत के आदेश पर हुई हिंसा की जानकारी जुटाएगा. सपा ने इस बारे में एक पत्र जारी किया है. इस प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय सहित 15 लोग शामिल होंगे.
सपा के प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने की अनुमति नहीं मिली है. इस पर, माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि वह जरूर संभल जाएंगे. पुलिस ने सपा नेताओं को जाने से रोकने के लिए सड़कों पर बेरिकेड्स लगा दिए हैं. इस पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया कि यह सरकार की नाकामी है कि ऐसी स्थिति पैदा हुई. समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव, प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल, सांसद जियाउर्रहमान बर्क और अन्य नेता शामिल हैं.
अखिलेश ने बताया सरकार की नाकामी
संभल हिंसा के बाद पुलिस ने 163 बीएनएस (बाहरी व्यक्तियों के आने पर रोक) लागू कर दी है, ताकि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके. इसके तहत, सपा का प्रतिनिधिमंडल संभल नहीं जा सकता. हालांकि, हिंसा की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय टीम भी भेजी जाएगी, जो इस हिंसा के कारणों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.
सपा नेताओं के घर पहुंची पुलिस फोर्स
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि मस्जिद कमिटी को अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने का मौका दिया जाएगा. संभल में 24 नवंबर को मस्जिद का सर्वेक्षण करने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और 25 अन्य घायल हो गए थे. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष हुआ था, जिसमें पुलिस को लाठियां चलानी पड़ी और आंसू गैस के गोले दागने पड़े थे.
स्थानीय कोर्ट में याचिका दायर
इस मामले में स्थानीय कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भगवान कल्कि के नाम पर बने पुराने मंदिर को मस्जिद में बदल दिया गया है. कोर्ट ने इस मामले में सर्वे का आदेश दिया था, जिसके बाद हिंसा भड़की.