ठाणे में महायुति की दरार, बीजेपी और शिंदे गुट का अलग-अलग चुनावी बिगुल
ठाणे महानगरपालिका चुनाव से पहले सत्तारूढ़ महायुति के भीतर तनाव खुलकर सामने आ गया है. भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच तालमेल की कोशिशें फिलहाल बेअसर होती दिख रही हैं.

ठाणे महानगरपालिका चुनाव से पहले सत्तारूढ़ महायुति के भीतर तनाव खुलकर सामने आ गया है. भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच तालमेल की कोशिशें फिलहाल बेअसर होती दिख रही हैं. दोनों दलों ने ठाणे में अलग-अलग चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी है, जिससे गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े हो गए हैं.
राजनीतिक गलियारों में बीते कई दिनों से यह चर्चा थी कि ठाणे को लेकर दोनों सहयोगी दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. लगातार बैठकों और बातचीत के बावजूद जब कोई ठोस रास्ता नहीं निकला, तो शिवसेना (शिंदे गुट) ने स्वतंत्र रूप से प्रचार करने का निर्णय ले लिया.
एकनाथ शिंदे का मजबूत राजनीतिक गढ़ है ठाणे
ठाणे को एकनाथ शिंदे का मजबूत राजनीतिक गढ़ माना जाता है. ऐसे में यहां शिवसेना और बीजेपी के बीच खींचतान और भी अहम हो जाती है. शिवसेना के बाद अब बीजेपी ने भी अपने स्तर पर चुनावी गतिविधियां तेज कर दी हैं. पार्टी ने शहर के लगभग 16 प्रमुख स्थानों पर बड़े-बड़े प्रचार बैनर लगाए हैं. इन बैनरों पर “नमो भारत, नमो ठाणे” जैसे नारों के जरिए विकास और राष्ट्र निर्माण का संदेश देने की कोशिश की गई है. साथ ही केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और विकास कार्यों को प्रमुखता से दर्शाया गया है, ताकि मतदाताओं तक अपनी उपलब्धियां पहुंचाई जा सकें.
राजनीतिक जानकारों का क्या मानना है?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दोनों दलों के बीच मुख्य अड़चन सीट बंटवारे को लेकर है. ठाणे में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, इस पर सहमति नहीं बन सकी है. अब तक शिवसेना के साथ गठबंधन को लेकर कोई अंतिम और स्पष्ट प्रस्ताव सामने नहीं आया है. वहीं चुनाव की तारीख नजदीक आने के कारण प्रचार के लिए समय भी तेजी से कम होता जा रहा है. इसी दबाव के चलते बीजेपी ने इंतजार करने के बजाय अकेले मैदान में उतरकर प्रचार शुरू करने का फैसला किया है.
बीजेपी के इस कदम के बाद राजनीतिक माहौल और गर्मा गया है. सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि शिंदे गुट की शिवसेना इस स्थिति पर क्या रुख अपनाती है. ठाणे जैसे शिवसेना के परंपरागत गढ़ में बीजेपी का स्वतंत्र प्रचार राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत भी माना जा रहा है. आने वाले दिनों में महायुति के भीतर की यह खींचतान किस दिशा में जाती है, इस पर पूरे महाराष्ट्र की राजनीति की नजर बनी हुई है और सियासी हलचल और तेज होने की संभावना जताई जा रही है.


