दिल्ली सरकार ने सक्रिय मानसून के चलते क्लाउड सीडिंग का ट्रायल स्थगित किया,डिटेल में जानें
दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग ट्रायल को स्थगित करने का फैसला किया है, जिसके पीछे सक्रिय मानसून की स्थिति को मुख्य कारण बताया गया है. यह पहल दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने और जल संकट से निपटने के लिए शुरू की गई थी. अब मौसम की अनुकूल परिस्थितियों के इंतजार में टाल दी गई है.

Artificial Rain In Delhi:
मौसम विशेषज्ञों के साथ काफी विचार-विमर्श के बाद क्लाउड साडिंग को स्थगित करने का फैसला लिया गया है. क्योंकि मौजूदा मानसून की सक्रियता कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक तकनीकी और पर्यावरणीय मानकों को प्रभावित कर सकती है. दिल्ली सरकार ने इस ट्रायल को 4 से 11 जुलाई 2025 के बीच आयोजित करने की योजना बनाई थी. लेकिन अब इसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया है.
क्लाउड सीडिंग ट्रायल की क्या थी योजना?
दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में पहली बार क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना बनाई थी. इस परियोजना का उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना और जल संकट से निपटना था. इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत, 4 से 11 जुलाई 2025 के बीच उत्तर-पश्चिम और बाहरी दिल्ली के कम सुरक्षा वाले हवाई क्षेत्रों में पांच विमानों के माध्यम से कृत्रिम बारिश कराने का लक्ष्य रखा गया था. प्रत्येक उड़ान लगभग 90 मिनट तक चलने वाली थी, जो 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती.
इस प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड, सूखी बर्फ, और टेबल नमक जैसी सामग्रियों का उपयोग कर बादलों में रसायन छोड़े जाने थे, ताकि वर्षा को प्रेरित किया जा सके. इस परियोजना का तकनीकी संचालन आईआईटी कानपुर द्वारा किया जाना था, और इसके लिए दिल्ली सरकार ने डीजीसीए से अनुमति भी प्राप्त कर ली थी. कुल लागत लगभग 3.21 करोड़ रुपये होने का अनुमान था.
सक्रिय मानसून ने क्यों डाला अड़ंगा?
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, क्लाउड सीडिंग के लिए आदर्श परिस्थितियों में कम से कम 40 प्रतिशत बादल कवरेज और निंबोस्ट्रेटस (Ns) बादल 500-6000 मीटर की ऊंचाई पर 50% से अधिक नमी के साथ होना आवश्यक है. हालांकि, दिल्ली में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत 29 जून 2025 को हो चुकी है, और मौसम विभाग ने हल्की से मध्यम बारिश की भविष्यवाणी की है. यह सक्रिय मानसून कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक नियंत्रित पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण ट्रायल को स्थगित करना पड़ा.
पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने कहा, “हालांकि हम इस परियोजना को लेकर उत्साहित थे, लेकिन मौसम की अनिश्चितता और सक्रिय मानसून के कारण हमें इसे टालना पड़ रहा है. हम जल्द ही अनुकूल परिस्थितियों में इस ट्रायल को दोबारा शुरू करेंगे.”
पर्यावरणीय प्रभाव और निगरानी की योजना
क्लाउड सीडिंग में उपयोग होने वाले रसायनों, विशेष रूप से सिल्वर आयोडाइड, के पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी के लिए आईआईटी कानपुर को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. यह सुनिश्चित करने के लिए कि वर्षा जल में रसायनों के अवशेष न रहें, विशेष निगरानी प्रणाली लागू की जानी थी. इसके अलावा, इस परियोजना को सफल बनाने के लिए कई अनुमोदन एजेंसियों जैसे एसपीजी, सीपीसीबी, पर्यावरण मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, डीजीसीए, एएआई, बीसीएएस, और यूपी सरकार से मंजूरी ली गई थी.
दिल्ली में पहले भी विफल रहीं कोशिशें
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश कराने की योजनाएं पहले भी कई बार बनाई गईं थी. लेकिन विभिन्न कारणों से वे सिरे नहीं चढ़ पाईं. इस बार की योजना को लेकर विशेषज्ञों और जनता में काफी उत्साह था, क्योंकि यह दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण और जल संकट से निपटने का एक अभिनव तरीका था. हालांकि, मौसम की अनिश्चितता ने एक बार फिर इस पहल को रोक दिया.


