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संबंधों में खटास कम करने की कोशिश! पांच साल बाद सचिन पायलट के साथ नजर आए अशोक गहलोत

राजस्थान की राजनीति में लंबे समय से जारी गहलोत-पायलट विवाद के बीच दोनों नेताओं की जयपुर में मुलाकात ने सियासी गलियारों में चर्चा तेज कर दी है. राजेश पायलट की पुण्यतिथि से पहले हुई यह भेंट संभावित सुलह का संकेत मानी जा रही है. हालांकि कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई, लेकिन कांग्रेस में बदलाव की उम्मीद है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

राजस्थान की राजनीति में लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शनिवार को जयपुर में हुई मुलाकात ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है. यह बैठक पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि से पहले हुई, जो सचिन पायलट के पिता थे. यह पहला मौका है जब दोनों नेता सार्वजनिक रूप से इतने समय बाद आमने-सामने आए हैं.

श्रद्धांजलि समारोह का निमंत्रण बना मुलाकात का बहाना

सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को 11 जून को दौसा में आयोजित होने वाले श्रद्धांजलि समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया. यह आयोजन उनके पिता की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर किया जा रहा है. गहलोत ने भी मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करते हुए राजेश पायलट के साथ अपने पुराने संबंधों को याद किया और उन्हें पार्टी की अपूरणीय क्षति बताया.

गहलोत ने साझा की पुरानी यादें

गहलोत ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “सचिन पायलट ने मुझे राजेश पायलट जी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित किया. राजेश जी और मैंने 1980 में एक साथ लोकसभा में प्रवेश किया था और लगभग 18 वर्षों तक सांसद रहे. उनका असमय निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति था.”

पायलट ने साझा की मुलाकात की तस्वीर

सचिन पायलट ने भी इस मुलाकात की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “आज अशोक गहलोत जी से मुलाकात की. उनसे दौसा में 11 जून को होने वाले श्रद्धांजलि समारोह में शामिल होने का आग्रह किया.” यह आयोजन दौसा जिले के भंडाना गांव में होगा, जहां वर्ष 2000 में राजेश पायलट की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी.

सुलह के संकेत या राजनीतिक रणनीति?

हालांकि दोनों नेताओं या पार्टी की ओर से किसी भी तरह की सुलह की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इस मुलाकात को संगठनात्मक बदलावों से पहले संभावित मेल-मिलाप के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुआ विवाद

2018 में कांग्रेस की राज्य में जीत के बाद से ही पायलट और गहलोत के बीच तनाव गहराता गया. पायलट को पार्टी की जीत का श्रेय मिला, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी गहलोत को दे दी गई. पायलट को उपमुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष बनाकर शांत करने की कोशिश की गई, मगर मतभेद बढ़ते चले गए.

2020 में सामने आया खुला विद्रोह

जुलाई 2020 में पायलट ने अपने समर्थक 18 विधायकों के साथ मिलकर गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी. उन्होंने गहलोत पर युवाओं को नजरअंदाज करने और संगठन में उनकी भूमिका को कमजोर करने का आरोप लगाया. जवाब में गहलोत ने पायलट पर भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया और उन्हें “निकम्मा” और “नकारा” कहा.

कांग्रेस नेतृत्व की मध्यस्थता भी रही असफल

पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मध्यस्थता की कोशिश की, लेकिन दोनों नेताओं के बीच की खटास कम नहीं हो सकी. अब यह मुलाकात राजस्थान कांग्रेस में नए अध्याय की शुरुआत का संकेत हो सकती है.

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08 June 2025, 02:12 PM IST

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