भैया सांस फूल रही है, कुछ करो...मॉल में लगी आग में जिंदा जले छात्र की आखिरी कॉल, इसी साल क्वालीफाई किया था UPSC प्री एग्जाम
दिल्ली के करोल बाग स्थित विशाल मेगा मार्ट में लगी आग में यूपीएससी की तैयारी कर रहे धीरेंद्र विक्रम सिंह की लिफ्ट में फंसकर मौत हो गई. उन्होंने आखिरी समय तक मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली. इस दर्दनाक हादसे ने एक होनहार छात्र की जिंदगी छीन ली और परिवार को गहरे शोक में डुबो दिया.

दिल्ली के करोल बाग इलाके में स्थित विशाल मेगा मार्ट में शुक्रवार शाम को भीषण आग लग गई, जिसने एक होनहार युवा की जान ले ली. उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के रहने वाले कुंवर धीरेंद्र विक्रम सिंह इस हादसे का शिकार हो गए. वह पिछले चार वर्षों से दिल्ली में रहकर सिविल सेवा की तैयारी कर रहे थे. घटना के समय धीरेंद्र मॉल की तीसरी मंजिल पर मौजूद लिफ्ट में थे, जब अचानक मॉल की बिजली काट दी गई, जिससे लिफ्ट बंद हो गई और वह उसमें फंस गए.
मदद के लिए लगाते रहे गुहार
धीरेंद्र ने फंसने के बाद सबसे पहले अपनी दोस्त यशी, जो नोएडा में रहती हैं, को कॉल किया. इसके बाद उन्होंने अपने बड़े भाई वीरेंद्र और बहन डॉ. स्वाति को भी फोन कर सहायता मांगी. कॉल रिकॉर्ड्स बताते हैं कि उन्होंने शाम 6:30 बजे से लेकर 7:03 बजे तक लगातार मदद की अपील की. उन्होंने पुलिस और दमकल विभाग से भी संपर्क किया, लेकिन कोई मदद समय पर नहीं पहुंच पाई.
हाल ही में पास किया था यूपीएससी प्री एंग्जाम
धीरेंद्र ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में स्नातक किया था और अब पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी में जुटे थे. इस वर्ष उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी और मुख्य परीक्षा की तैयारी में लगे हुए थे. कुछ दिन पहले ही वे अपने परिवार के साथ बेंगलुरु से लौटे थे. शुक्रवार को वे कपड़े खरीदने विशाल मेगा मार्ट गए थे, जहां से वे कभी वापस नहीं लौटे.
नहीं मिली कोई मदद
धीरेंद्र की बहन डॉ. स्वाति, जो प्रयागराज विश्वविद्यालय से फॉरेंसिक साइंस में पीएचडी कर चुकी हैं, ने बताया कि जैसे ही आग लगी, मॉल प्रशासन ने बिजली काट दी. इससे लिफ्ट बंद हो गई और धीरेंद्र अंदर ही फंस गए. आग के कारण लिफ्ट में धुआं भर गया और सांस लेना मुश्किल हो गया. उन्होंने मदद के लिए बार-बार फोन किया, लेकिन कोई समय पर वहां नहीं पहुंचा. मॉल में मौजूद लोगों ने भी केवल मूकदर्शक बनकर तमाशा देखा.
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
धीरेंद्र के भाई वीरेंद्र जब तक दिल्ली पहुंचे, तब तक सब खत्म हो चुका था. पूरा परिवार गहरे सदमे में है. उनके पिता गिरीश प्रताप सिंह और मां मालती सिंह इस दुख को सह नहीं पा रहे हैं. एक बेटे की असमय मृत्यु और वह भी उस समय जब वह जीवन के सबसे अहम मोड़ पर था, परिवार के लिए किसी दुखद स्वप्न से कम नहीं.