मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड के बाद चुनाव आयोग ने तीन अधिकारियों को हटाया
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा में जन सुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के चुनाव आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए तीन अधिकारियों को हटाने का आदेश दिया है.

बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा में जन सुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के मामले ने सुर्खियां बटोरी हैं. इस मामले में चुनाव आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए तीन अधिकारियों को हटाने का आदेश दिया है. इसमें एसडीओ और एसडीपीओ शामिल हैं, जबकि पटना एसपी (ग्रामीण) का भी स्थानांतरण कर दिया गया है. साथ ही, आयोग ने इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट के लिए डीजीपी विनय कुमार से जवाब तलब किया है.
गोली लगने से नहीं हुई दुलारचंद यादव की मौत
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुलारचंद यादव की मौत गोली लगने से नहीं हुई. शव को शुक्रवार को भारी सुरक्षा में बाढ़ अनुमंडल अस्पताल लाया गया, जहां तीन डॉक्टरों की मेडिकल टीम ने पोस्टमार्टम किया. डॉक्टरों के अनुसार, दुलारचंद की एड़ी में गोली लगी थी जो आरपार हो गई थी. लेकिन मृत्यु की मुख्य वजह गोली नहीं बल्कि गाड़ी से कुचलने और मारपीट के दौरान लगी गंभीर चोटें थीं.
घटना गुरुवार को मोकामा विधानसभा क्षेत्र के तारतर गांव में हुई थी. जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के चुनाव प्रचार के दौरान दुलारचंद यादव को गोली मारने के बाद वाहन से कुचल दिया गया. इस हिंसक घटना के बाद भदौर थाने में तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.
पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
दुलारचंद यादव के पोते की शिकायत पर पुलिस ने पूर्व विधायक और जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. वहीं, अनंत सिंह के समर्थक जितेंद्र कुमार की शिकायत के आधार पर भदौर पुलिस ने जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी, लखन महतो, बाजो महतो, नीतीश महतो, ईश्वर महतो और अजय महतो के खिलाफ भी केस दर्ज किया है.
इस पूरे मामले ने चुनावी प्रचार को भी प्रभावित किया है और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. चुनाव आयोग की त्वरित कार्रवाई और अधिकारियों के हटाए जाने से यह संदेश दिया गया है कि चुनावी हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब प्रशासन और पुलिस इस घटना की जांच में जुटी हुई है और दोषियों को कानून के तहत सजा दिलाने की तैयारी कर रही है.
मोकामा हत्याकांड ने चुनावी माहौल को और संवेदनशील बना दिया है. साथ ही, राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति बन गई है, जिससे आगामी मतदान प्रक्रिया पर भी नजरें टिकी हुई हैं.


