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इंजीनियर असद खान बना अथर्व त्यागी...गंगा की लहरों के बीच अपनाया सनातन धर्म, कहा- महाकाल का भक्त हूं

काशी में मध्य प्रदेश के रहने वाले असद खान ने वैदिक विधि-विधान के साथ सनातन धर्म अपनाया. गंगा में नाव पर शुद्धिकरण, पूजन और नामकरण के बाद उनका नया नाम अथर्व त्यागी रखा गया. उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें सनातन परंपराओं से लगाव था. परिवार की सहमति से उन्होंने यह निर्णय लिया और आगे धर्म के प्रचार की इच्छा जताई.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

मध्य प्रदेश : उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी एक बार फिर अपने आध्यात्मिक वातावरण के कारण चर्चा में है. यहां एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने धार्मिक और सामाजिक हलकों में बहस छेड़ दी है. मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले 33 वर्षीय असद खान ने वैदिक रीति-रिवाजों के साथ सनातन धर्म अपनाया. गंगा की पवित्र धारा के बीच नाव पर संपन्न हुए इस अनुष्ठान को कई संगठनों ने “घर वापसी” बताया है. धर्म परिवर्तन के बाद असद खान का नामकरण अथर्व त्यागी के रूप में किया गया.

गंगा की गोद में हुआ धार्मिक अनुष्ठान

आपको बता दें कि काशी में ब्राह्मणों की देखरेख में असद खान के धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी की गई. गंगा नदी में नाव पर बैठाकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन-पाठ हुआ. धार्मिक परंपराओं के अनुसार पहले उनका शुद्धिकरण किया गया, जिसमें पंचगव्य ग्रहण कराया गया और गंगाजल से स्नान कराया गया. इसके बाद नाई द्वारा उनका मुंडन किया गया, तिलक लगाया गया और शिखा रखी गई. इन सभी संस्कारों के पूर्ण होने के बाद उनका नया नाम अथर्व त्यागी रखा गया.

बचपन से था सनातन धर्म के प्रति झुकाव
असद खान ने बातचीत में बताया कि उनका जन्म भले ही मुस्लिम परिवार में हुआ हो, लेकिन बचपन से ही उन्हें सनातन परंपराओं के प्रति आकर्षण रहा है. मंदिर जाना, भजन-कीर्तन सुनना और धार्मिक वातावरण में रहना उन्हें मानसिक शांति देता था. उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से अपने मन की इस भावना को दबाए हुए थे, लेकिन अब उन्होंने खुलकर अपने विश्वास के अनुसार जीवन जीने का निर्णय लिया है.

हाल की घटनाओं ने बदला फैसला
असद के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में मंदिरों में पहचान और जांच की प्रक्रिया के कारण उन्हें अलग नजर से देखा जाने लगा, जिससे वह मानसिक रूप से आहत हुए. इसके अलावा, पड़ोसी देशों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की खबरों ने भी उन्हें गहराई से प्रभावित किया. इन्हीं घटनाओं ने उन्हें अपने जीवन को नई दिशा देने और सनातन धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया.

परिवार की सहमति और भविष्य की योजना
अथर्व त्यागी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने धर्म परिवर्तन से पहले अपने परिवार से बातचीत की थी और उनकी सहमति भी प्राप्त की है. उन्होंने कहा कि काशी से लौटने के बाद वह अलग रहकर जीवन व्यतीत करेंगे, ताकि किसी प्रकार का विवाद या तनाव न उत्पन्न हो. साथ ही, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में वह सनातन धर्म के मूल्यों और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करना चाहते हैं.

संगठनों ने बताया घर वापसी
इस पूरे कार्यक्रम में हिंदू युवा शक्ति और हनुमान सेना जैसे संगठनों की सक्रिय भूमिका रही. हिंदू युवा शक्ति के प्रदेश प्रचारक आलोक नाथ शुक्ला ने कहा कि उनका संगठन उन लोगों की घर वापसी कराता है, जिनके पूर्वजों ने किसी कारणवश धर्म परिवर्तन किया था. वहीं, हनुमान सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर सिंह ने अथर्व त्यागी के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया और इसे सनातन परंपरा में वापसी बताया. यह घटना काशी की धार्मिक पहचान के साथ-साथ भारत में आस्था, पहचान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े सवालों को भी एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ले आई है.

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