लालू यादव का नाम कैसे पड़ा? RJD अध्यक्ष के 78वें जन्मदिन पर जानिए उनके नामकरण की अनसुनी दास्तान
Lalu Prasad Yadav: राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव आज अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं. बिहार की राजनीति में अपने खास अंदाज और सामाजिक न्याय की राजनीति के लिए पहचाने जाने वाले लालू यादव के नामकरण की कहानी भी उतनी ही रोचक है जितनी उनकी राजनीतिक यात्रा.

Lalu Prasad Yadav: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और बिहार की राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में शामिल लालू प्रसाद यादव आज 78वां जन्मदिन मना रहे हैं. 11 जून 1948 को गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में जन्मे लालू यादव का जीवन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन अपने बेबाक अंदाज और जनप्रिय शैली के चलते उन्होंने राजनीति में ऐसी जगह बनाई जो विरले ही किसी को मिलती है. बचपन में प्रसाद नाम से पुकारे जाने वाले इस नेता को कैसे मिला 'लालू' नाम आइए जानते हैं नामकरण की पूरी दास्तान.
लालू प्रसाद यादव का जन्म एक बेहद गरीब ग्वाला परिवार में हुआ था. उनके पिता कुंदन राय किसान थे और माता-पिता ने उन्हें बड़े स्नेह से पाला. परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी, लेकिन लालू बचपन से ही मजबूत और जिंदादिल थे.
पिता ने रखा था प्रसाद नाम
जब लालू यादव का जन्म हुआ तो उनके पिता ने उन्हें 'प्रसाद' नाम दिया. ऐसा कहा जाता है कि वे अपने पुत्र को भगवान के प्रसाद की तरह मानते थे, इसीलिए यह नाम रखा गया. बचपन में वे अपने परिवार के अन्य बच्चों की तरह मवेशी चराने में पिता की मदद करते थे.
कैसे मिला लालू नाम?
लालू यादव बचपन में गोल-मटोल और तंदुरुस्त थे. जब वे मवेशी चरा कर खेतों से लौटते थे, तो गर्मी के कारण उनका चेहरा लाल हो जाता था. यही बात उनके पिता को खास लगी और उन्होंने प्यार से उनका नाम 'लालू' रख दिया. इस तरह 'प्रसाद' नाम का यह बच्चा 'लालू प्रसाद यादव' के रूप में जाना जाने लगा.
सामाजिक न्याय का प्रतीक बने लालू
1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू यादव ने खुद को सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में स्थापित किया. उन्होंने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को राजनीति में प्रतिनिधित्व दिलाने का काम किया. वरिष्ठ पत्रकार इंद्र भूषण के मुताबिक, लालू ने शिक्षा और सामाजिक चेतना को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया.
आम जनता से खास रिश्ता
लालू यादव का सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार उनका आम जनता से जुड़ाव रहा है. वे जिस भाषा और अंदाज में बात करते थे, वह सीधे लोगों के दिल को छूता था. संसद हो या कोई जनसभा, उनके भाषण के दौरान तालियों और हंसी की गूंज सुनाई देती थी.
रेल मंत्री के तौर पर छाप छोड़ी
लालू यादव जब 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री बने, तब उन्होंने कई अहम बदलाव किए. उन्होंने 'कुल्हड़ क्रांति' की शुरुआत की, जिसमें ट्रेनों में कुल्हड़ में चाय परोसी जाने लगी. इसके अलावा रेलवे में खादी के कपड़ों के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया गया ताकि खादी उद्योग को बल मिले.
लालू की राजनीति का प्रभाव
लालू प्रसाद यादव केवल एक राजनेता नहीं बल्कि एक विचारधारा बन चुके हैं. उन्होंने उस वर्ग को सशक्त किया जिसे राजनीति में लंबे समय तक हाशिए पर रखा गया. उनके प्रयासों ने उन्हें सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में पहचान दिलाई.