लालू यादव पर दलितों के अपमान का आरोप, अंबेडकर की तस्वीर के पास दिखाए गए उनके पैर
लालू यादव के 78वें जन्मदिन पर डॉ. अंबेडकर की तस्वीर को पैरों में रखने के मामले में राजनीतिक विवाद उठा. भाजपा ने इसे दलितों का अपमान बताया, वहीं तेजस्वी यादव ने आरोपों को झूठा कहा. राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने स्पष्टीकरण मांगा, जबकि जेडीयू और अन्य नेताओं ने आलोचना की. प्रशांत किशोर ने कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाया.

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव हाल ही में एक राजनीतिक विवाद में घिर गए हैं, जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया कि उनके 78वें जन्मदिन समारोह के दौरान डॉ. बी.आर. अंबेडकर की तस्वीर उनके पैरों में रखी हुई थी. इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में आक्रोश फैल गया, और विभिन्न दलों ने लालू यादव की आलोचना की.
राज्य अनुसूचित जाति आयोग की कार्रवाई
राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और रविवार को लालू यादव को नोटिस जारी किया. आयोग ने उनसे 15 दिनों के भीतर इस मामले पर लिखित स्पष्टीकरण मांगा है. अगर निर्धारित समय सीमा में जवाब नहीं मिलता, तो कानूनी कार्रवाई की धमकी दी गई है. इस घटना के बाद राजनीतिक और सामाजिक संगठन इस मुद्दे पर विरोध जता रहे हैं.
भाजपा और अन्य दलों की प्रतिक्रिया
भारतीय जनता पार्टी ने इस घटना को लेकर राजद और लालू प्रसाद यादव पर कड़ी आलोचना की. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि यह घटना राजद की "गैर-संवैधानिक विचारधारा" को उजागर करती है. उन्होंने कहा, "जिस तरह से डॉ. अंबेडकर की तस्वीर लालू यादव के पैरों के पास रखी गई, यह दलितों और अंबेडकर की छवि का अपमान है." उन्होंने यह भी कहा कि राजद के लिए संविधान और सामाजिक न्याय से ज्यादा परिवार और सत्ता की चिंता है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी इसे “अक्षम्य अपमान” और “बिहार के राजनीतिक इतिहास का काला अध्याय” बताया. उन्होंने लालू यादव से सार्वजनिक माफी की मांग की.
पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी इस घटना की निंदा की और इसे दलितों का अपमान बताया. उन्होंने कहा, "डॉ. अंबेडकर की तस्वीर को पैरों के पास रखना न केवल हमारे आदर्श का अपमान है, बल्कि सभी दलितों का अपमान है."
जेडीयू और अन्य नेताओं की आलोचना
राजद की पूर्व सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने भी इस कृत्य की निंदा की. पार्टी के महासचिव श्याम रजक, जो पहले राजद से जुड़े हुए थे, ने इसे "क्षुद्र और अक्षम्य" कदम बताया. उन्होंने कहा, "बिहार के लोग बाबासाहेब अंबेडकर के प्रति इस अहंकार और अनादर को माफ नहीं करेंगे."
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने इसे "संविधान का घोर अपमान" करार दिया और कहा कि यह "सामंती मानसिकता" को दर्शाता है. लोजपा (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने भी राजद पर दलित और महादलित समुदायों का अपमान करने का आरोप लगाया.
प्रशांत किशोर का बयान
राजनीतिक रणनीतिकार और कार्यकर्ता प्रशांत किशोर ने भी इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. मुजफ्फरपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने राहुल गांधी से लालू यादव की आलोचना करने की चुनौती दी.
तेजस्वी यादव ने किया बचाव
राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने पिता के बचाव में आते हुए भाजपा पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "बीजेपी को बाबासाहेब अंबेडकर, संविधान और आरक्षण से कोई लेना-देना नहीं है. लालू यादव ने बिहार में बाबासाहेब अंबेडकर की कई मूर्तियां स्थापित की हैं. हम अंबेडकर की विचारधारा को मानने वाले लोग हैं." तेजस्वी ने यह भी कहा कि उनके पिता बीमार होने के बावजूद काम कर रहे हैं, और भाजपा द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं.


