मायावती ने फिर दिखाया भतीजे पर भरोसा, आकाश आनंद बने BSP के चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर
बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद पर भरोसा जताते हुए उन्हें पार्टी का मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया है. मार्च 2025 में उन्हें पार्टी से हटाया गया था, लेकिन अब दोबारा बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी गई है. दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय बैठक के दौरान यह ऐलान किया गया.

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद पर भरोसा जताया है. पहले उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था, लेकिन अब उन्हें पार्टी का मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक (Chief National Coordinator) नियुक्त किया गया है. इस फैसले को पार्टी में एक अहम मोड़ के तौर पर देखा जा रहा है, खासकर तब जब मार्च में मायावती ने आकाश को “पार्टी हित” में सभी पदों से हटा दिया था.
दिल्ली के लोधी रोड स्थित BSP के केंद्रीय कार्यालय में हुई एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बैठक के दौरान मायावती ने यह घोषणा की. इस बैठक में देशभर के पार्टी पदाधिकारी, यूपी के सभी जिलाध्यक्ष और समन्वयक, राष्ट्रीय समन्वयक, महासचिव और प्रदेश अध्यक्ष उपस्थित थे.
आकाश आनंद को दोबारा मिली बड़ी जिम्मेदारी
मायावती ने बैठक में ऐलान करते हुए कहा कि, मैं उम्मीद करती हूं कि इस बार आकाश पूरी मेहनत और सतर्कता के साथ पार्टी और आंदोलन को मजबूत करने का कार्य करेंगे.” उन्होंने पार्टी को देशभर में विस्तार देने की जिम्मेदारी भी आकाश आनंद को सौंपी है.
पहले पार्टी से निकाले गए थे आकाश आनंद
गौरतलब है कि इसी साल 3 मार्च को मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. उस समय उन्होंने कहा था कि यह फैसला पार्टी और बहुजन आंदोलन के हित में लिया गया है.
इसके बाद 13 अप्रैल को, केवल 40 दिन बाद, मायावती ने उन्हें पार्टी में वापस लिया और आगाह किया कि वे किसी के प्रभाव में न आएं.
आकाश पहले भी संभाल चुके हैं बड़ी भूमिका
आकाश आनंद पहले भी पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के पद पर रह चुके हैं. मायावती उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर चुकी हैं. उनके निष्कासन के पीछे यह भी चर्चा थी कि वे अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में आकर गलत फैसले ले रहे थे. हालांकि, बाद में आकाश ने अपने बीते फैसलों पर माफ़ी मांगी और पछतावा जताया, जिसके बाद मायावती ने उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल किया.
क्या है मायावती की रणनीति?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला मायावती की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जहां वह पार्टी में नए नेतृत्व को दोबारा सक्रिय कर रही हैं. खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों और आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र BSP को एक मज़बूत चेहरा देने की दिशा में यह कदम अहम माना जा रहा है.


