अमूल को मिली मेट्रो में जगह तो भड़के नंदिनी समर्थक, सरकार ने दिए आउटलेट खोलने के निर्देश
कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के आश्वासन से नंदिनी के समर्थकों को कुछ हद तक राहत की उम्मीद है. यह पहल राज्य के डेयरी किसानों के हितों की सुरक्षा और स्थानीय ब्रांड को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है.

कर्नाटक में नम्मा मेट्रो स्टेशनों पर अमूल कियोस्क को लेकर मचे राजनीतिक विवाद के बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की है. उन्होंने बुधवार को कहा कि बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMRCL) द्वारा जारी की गई निविदा प्रक्रिया में अमूल इकलौती कंपनी थी जिसने आवेदन किया था. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF), जो ‘नंदिनी’ ब्रांड का संचालन करता है उसने इस प्रक्रिया में भाग नहीं लिया था.
शिवकुमार ने दी जानकारी
शिवकुमार ने जानकारी दी कि अमूल को 10 में से दो मेट्रो स्टेशनों पर स्टॉल खोलने की अनुमति मिली है, क्योंकि उन्होंने वैध निविदा के तहत आवेदन किया था. उन्होंने यह भी कहा कि अब KMF को निर्देश दिया गया है कि वह शेष आठ स्टेशनों के लिए आवेदन करे ताकि नंदिनी ब्रांड को भी उचित प्रतिनिधित्व मिल सके. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब अमूल के स्टॉल्स को हटाना संभव नहीं होगा क्योंकि प्रक्रिया पारदर्शी थी.
विवाद कब गहराया?
BMRCL द्वारा निविदाएं पट्टनदुर अग्रहारा, इंदिरानगर, बेन्नीगनहल्ली, ब्यप्पनहल्ली, ट्रिनिटी, सर एम विश्वेश्वरैया, नदप्रभु केम्पेगौड़ा (मैजेस्टिक), नेशनल कॉलेज, जयनगर और बनशंकरी जैसे मेट्रो स्टेशनों के लिए जारी की गई थीं. विवाद तब गहरा गया जब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस सरकार पर गुजरात स्थित अमूल को प्राथमिकता देने और कर्नाटक के अपने ब्रांड नंदिनी को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया.
भाजपा सांसद पीसी मोहन ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि 2023 में कांग्रेस ने भाजपा पर बाहरी ब्रांड को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया था, लेकिन अब खुद उनकी सरकार अमूल को बढ़ावा दे रही है.
शिवकुमार के स्पष्टीकरण और नंदिनी के लिए आठ मेट्रो स्टेशनों पर अवसर सुनिश्चित करने के आश्वासन से स्थानीय डेयरी किसानों और नंदिनी समर्थकों को राहत मिल सकती है. यह कदम क्षेत्रीय उत्पादों को बढ़ावा देने और राजनीतिक तनाव को कम करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.


