“न कोई नोटिस, न कोई चेतावनी.. ' संभल में बुलडोजर एक्शन पर फैक्ट्री मालिक का आरोप, SC बोला - ये मामला हम नहीं सुनेंगे आप...
Bulldozer Action: उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता ने दावा किया कि संभल में उनकी फैक्ट्री को बिना कोई नोटिस दिए ढहा दिया गया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यह फैक्ट्री उनकी कमाई का एकमात्र जरिया थी और प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश की अवहेलना की है, जिसमें बिना नोटिस के किसी भी संपत्ति को तोड़ने पर रोक लगाई गई थी.

Bulldozer Action: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बुलडोजर कार्रवाई का एक और मामला सामने आया है, जहां प्रशासन ने कथित तौर पर बिना किसी पूर्व सूचना के एक फैक्ट्री को जमींदोज कर दिया.फैक्ट्री मालिक मोहम्मद गयूर का दावा है कि यह उनकी आजीविका का एकमात्र जरिया था और इस कार्रवाई ने उनके परिवार को संकट में डाल दिया है.
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां उन्होंने यूपी प्रशासन के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी.हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए उन्हें हाईकोर्ट का रुख करने की सलाह दी.
बिना नोटिस ढहा दी गई फैक्ट्री
याचिकाकर्ता मोहम्मद गयूर का आरोप है कि 10 और 11 जनवरी, 2025 को उनकी फैक्ट्री पर बुलडोजर चला दिया गया, जबकि प्रशासन की तरफ से कोई पूर्व सूचना या नोटिस नहीं दिया गया था.उन्होंने कहा कि यह फैक्ट्री उनके परिवार की आजीविका का एकमात्र साधन थी और इसे अचानक तोड़ दिए जाने से उनकी पूरी जिंदगी संकट में पड़ गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने दी हाईकोर्ट जाने की सलाह
मोहम्मद गयूर ने उत्तर प्रदेश प्रशासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दलील दी कि 13 नवंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने बिना नोटिस बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया था.लेकिन इसके बावजूद उनकी फैक्ट्री को गिरा दिया गया.
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए.इससे पहले 24 जनवरी को इस मामले की सुनवाई एक हफ्ते के लिए टाल दी गई थी, क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील बहस के लिए उपलब्ध नहीं थे.
क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट का 13 नवंबर 2024 का आदेश?
गौरतलब है कि पिछले साल 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बिना नोटिस बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे.कोर्ट ने कहा था कि -
1. बिना कारण बताओ नोटिस के कोई ध्वस्तीकरण न किया जाए.
2. उत्तर देने के लिए कम से कम 15 दिन का समय दिया जाए.
हालांकि, यह गाइडलाइंस उन अवैध संरचनाओं पर लागू नहीं होतीं जो सार्वजनिक जगहों पर बनी हों, जैसे सड़क, फुटपाथ, रेलवे ट्रैक या जलाशय के पास.
फैक्ट्री मालिक का क्या कहना है?
मोहम्मद गयूर ने कहा, "मेरी फैक्ट्री को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए तोड़ दिया गया.यह मेरी आजीविका का इकलौता जरिया थी.सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही बिना नोटिस के कार्रवाई पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बावजूद मेरे साथ अन्याय हुआ."


