'स्थिति स्पष्ट करें...', अल-फलाह यूनिवर्सिटी में छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित अभिभावकों ने लिया ये फैसला
दिल्ली धमाके के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी को लेकर छात्रों, अभिभावकों और स्थानीय लोगों में चिंता काफी बढ़ गई है. जांच एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई का दायरा बढ़ा दिया है, जिससे यूनिवर्सिटी से जुड़े कई लोग शक के घेरे में आए हैं. इसी कारण छात्रों के माता-पिता अब अपने बच्चों के भविष्य को लेकर सबसे ज्यादा परेशान हैं.

फरीदाबाद: दिल्ली धमाके के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी को लेकर छात्रों, अभिभावकों और स्थानीय लोगों में चिंता काफी बढ़ गई है. जांच एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई का दायरा बढ़ा दिया है, जिससे यूनिवर्सिटी से जुड़े कई लोग शक के घेरे में आए हैं. इसी कारण छात्रों के माता-पिता अब अपने बच्चों के भविष्य को लेकर सबसे ज्यादा परेशान हैं. उन्हें डर है कि कहीं यूनिवर्सिटी का संचालन प्रभावित न हो जाए या उसे अस्थायी रूप से बंद न करना पड़े.
लाल किले के समीप हुआ था बम धमाका
10 नवंबर को दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के समीप हुए बम धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई थी और 15 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. जांच में पता चला कि इस धमाके को अंजाम देने में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. उमर की भूमिका थी. इस घटना के बाद एनआईए, यूपी एटीएस, दिल्ली क्राइम ब्रांच और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीमें लगातार यूनिवर्सिटी से जुड़े संदिग्ध लोगों पर कार्रवाई कर रही हैं. अब तक कई डॉक्टरों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें डॉ. मुजम्मिल भी शामिल हैं.
यूनिवर्सिटी के छात्रों में आक्रोश
यूनिवर्सिटी में आतंक से जुड़े मामलों के उजागर होने के बाद छात्र खुलकर नाराजगी जता रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे गंभीर आरोपों के कारण उनकी पढ़ाई और करियर दोनों खतरे में पड़ गए हैं. गुरुवार रात से ही छात्रों के अभिभावकों ने सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप पर कई ग्रुप बनाकर आपस में स्थिति पर चर्चा शुरू कर दी है. अभिभावक चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन इस पूरे मामले पर साफ बयान दे और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने की गारंटी दे.
शैक्षणिक सत्र प्रभावित होने की आशंका
अभिभावकों का कहना है कि यदि जांच लंबी चली या सुरक्षा कारणों से यूनिवर्सिटी कुछ समय के लिए बंद हुई, तो छात्रों का पूरा शैक्षणिक सत्र प्रभावित हो सकता है. इसी चिंता के कारण बड़ी संख्या में अभिभावकों ने शनिवार को यूनिवर्सिटी कैंपस के बाहर एकत्रित होकर पत्रकार वार्ता करने की योजना बनाई है. उनका उद्देश्य प्रबंधन और सरकार के सामने अपनी मांगें रखना है.
स्थानीय पुलिस हुई सतर्क
इस बीच पुलिस भी अभिभावकों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए सतर्क हो गई है. किसी भी तरह की अफवाह या भीड़भाड़ की स्थिति को रोकने के लिए पुलिस ने यूनिवर्सिटी के आसपास निगरानी बढ़ा दी है. छात्र भी सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं से परेशान हैं. कई छात्रों का कहना है कि अफवाह है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन कुछ गतिविधियों को अस्थायी रूप से रोक सकता है, हालांकि आधिकारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं कहा गया है.
डॉ. निसार की नियुक्ति से जुड़ा विवाद
दूसरी ओर, डॉ. निसार की नियुक्ति से जुड़ा विवाद भी फिर सामने आ गया है. आरोप है कि डॉ. निसार को तब भी नियुक्त कर लिया गया था, जब उन्हें जम्मू-कश्मीर सरकार ने गंभीर आरोपों के चलते बर्खास्त कर दिया था. अभिभावकों का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन यदि तब सतर्क होता, तो आज हालात इतने बिगड़े हुए नहीं होते.
यूनिवर्सिटी की विश्वसनीयता पर सवाल
इन सभी घटनाओं के कारण यूनिवर्सिटी की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं. छात्र और अभिभावक दोनों ही चिंतित हैं कि यदि जांच और लंबी चली, तो इसकी सबसे बड़ी मार बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगी. सभी की यही मांग है कि सरकार और यूनिवर्सिटी जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करें, ताकि अनिश्चितता खत्म हो सके और छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके.


