कर्नाटक में सत्ता संघर्ष तेज़, क्या नवंबर में सीएम बनेंगे डीके शिवकुमार?
कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर सत्ता को लेकर एक बार फिर घमासान मचा हुआ है.मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच खींचतान अब खुलकर सामने आ चुकी है.ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है क्या नवंबर 2025 में सिद्धारमैया मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे और डीके शिवकुमार की ताजपोशी होगी?

कर्नाटक में एक बार फिर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति सुर्खियों में है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच कथित 'ढाई-ढाई साल के सत्ता समझौते' को लेकर तनाव गहराता जा रहा है. सूत्रों की मानें तो नवंबर 2024 में सिद्धारमैया के ढाई साल पूरे होते ही डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा जोरों पर है, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है.
फिलहाल आलाकमान की निगरानी में कर्नाटक में फीडबैक और समीक्षा बैठकों का दौर जारी है. कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला विधायकों और ज़िलाध्यक्षों से अलग-अलग मिल रहे हैं. ये मुलाकातें सत्ता हस्तांतरण की संभावनाओं की ओर भी इशारा कर रही हैं, जिससे डीके शिवकुमार के पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है.
सत्ता हस्तांतरण की जमीन तैयार?
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं केसी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला की बैठक में ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले पर सहमति बनी थी. इसी रणनीति के तहत विधायकों से फीडबैक लिया जा रहा है, ताकि नवंबर में संभावित बदलाव से पहले पार्टी के अंदर सहमति बनाई जा सके.
खरगे और राहुल की भूमिका अहम
हाल ही में कर्नाटक दौरे पर आए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मुख्यमंत्री बदलने की संभावना को न तो नकारा और न ही स्वीकार किया. वहीं, राहुल गांधी इस पूरे घटनाक्रम में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. सूत्रों की मानें तो राहुल को डीके शिवकुमार के नाम पर आपत्ति नहीं है, लेकिन अंतिम फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि कितने विधायक शिवकुमार के साथ खड़े होते हैं.
पर्दे के पीछे चल रहा असली संघर्ष
दोनों खेमे सत्ता के लिए दावेदारी कर रहे हैं. सिद्धारमैया मार्च 2026 तक पद पर बने रहना चाहते हैं, जबकि शिवकुमार तय समय के बाद भी एक दिन इंतजार नहीं करना चाहते. इसीलिए उन्होंने अब तक प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ा है. सूत्र बताते हैं कि डीके शिवकुमार ने करीब 100 विधायकों से समर्थन हासिल कर लिया है.
छत्तीसगढ़ जैसी गलती दोहराएगी कांग्रेस?
राजनीतिक विश्लेषक इसे छत्तीसगढ़ मॉडल से जोड़ रहे हैं, जहां टीएस सिंह देव को वादा होने के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया और भूपेश बघेल ने पूरे 5 साल कुर्सी संभाली. सवाल यह है कि क्या कर्नाटक में भी ऐसा ही दोहराया जाएगा या कांग्रेस इस बार वादे पर अमल करेगी?
दलित चेहरों की भी उठ रही आवाजें
गृह मंत्री डॉ. जी परमेश्वर बीच-बीच में दलित चेहरे के तौर पर सीएम बनने का दावा पेश करते रहे हैं, लेकिन हालिया विवादों के कारण उनका नाम कमजोर पड़ गया है. वहीं कुछ नेता आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ओबीसी चेहरा सिद्धारमैया को फिलहाल पद पर बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं.
शिवकुमार की उम्मीदें और सिद्धारमैया का संतुलन
सत्ता की इस खींचतान में डीके शिवकुमार की नजर अब सिर्फ समर्थन जुटाने पर है, वहीं सिद्धारमैया भी अपने खेमें को एकजुट कर रहे हैं. अगर उनके समर्थक विधायक बगावत करते हैं, तो राहुल गांधी को बीच का रास्ता निकालना पड़ सकता है जिससे डीके शिवकुमार का सपना अधूरा रह सकता है.


