पुणे महानगरपालिका चुनाव से पहले महायुति में दरार, शिवसेना ने दिए NDA से अलग होने के संकेत
पुणे महानगरपालिका चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच तनाव बढ़ गया है. शिवसेना ने कम सीटें मिलने पर नाराजगी जताई है और NDA से अलग होकर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं.

महाराष्ट्र में होने वाले पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) चुनाव से पहले सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर खींचतान खुलकर सामने आ गई है. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर गंभीर आरोप लगाए हैं. शिवसेना का कहना है कि चुनाव से पहले हुए सीट बंटवारे में भाजपा ने उसके साथ न्याय नहीं किया और उसे सम्मानजनक हिस्सेदारी से वंचित रखा गया.
शिवसेना नेताओं का आरोप है कि भाजपा ने पुणे मनपा के लिए 165 सीटों में से सिर्फ 16 सीटें शिवसेना को देने का प्रस्ताव रखा, जिसे पार्टी की स्थानीय इकाई ने सिरे से खारिज कर दिया. शिवसेना का मानना है कि यह प्रस्ताव न केवल असंतुलित है, बल्कि गठबंधन की भावना के भी खिलाफ है. इसी नाराजगी के चलते शिंदे गुट की शिवसेना ने यह संकेत दिया है कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होकर चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है.
भाजपा के ऐलान के बाद बढ़ी खटास
इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य की सभी 29 नगर निगमों में शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही थी. लेकिन पुणे के मामले में सामने आए सीट बंटवारे के फॉर्मूले ने दोनों दलों के रिश्तों में दरार डाल दी. शिवसेना नेताओं का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेतृत्व को यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं है.
शिवसेना नेताओं के तीखे बयान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना नेता अजय भोसले ने कहा कि भाजपा का रवैया अपमानजनक है और इस तरह के सीट बंटवारे को स्वीकार करना संभव नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी ने लगभग 60 इच्छुक उम्मीदवारों को जरूरी दस्तावेज जारी कर दिए हैं, जिससे साफ है कि शिवसेना चुनाव की तैयारी में जुट चुकी है. वहीं, पुणे शहर शिवसेना के प्रमुख नाना भांगिरे ने साफ शब्दों में कहा कि पुणे में भाजपा के साथ गठबंधन अब लगभग खत्म हो चुका है.
भाजपा ने घोषित किए अपने उम्मीदवार
तनाव को और बढ़ाते हुए भाजपा ने उन सीटों पर भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिन पर शिवसेना दावा कर रही थी. शिवसेना नेताओं का आरोप है कि भाजपा ने जीत की संभावनाएं कमजोर होने के बावजूद भी ज्यादा सीटें अपने पास रख लीं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो शिवसेना सभी सीटों पर अकेले दम पर चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेगी.
नए गठबंधन की तलाश?
गौर करने वाली बात यह है कि 2017 के पुणे मनपा चुनाव में शिवसेना ने 10 सीटें जीती थीं. इनमें से सात पार्षद बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे. अब भाजपा ने उन्हीं नेताओं को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिससे शिवसेना की नाराजगी और बढ़ गई है. राजनीतिक हलचल के बीच शिवसेना नेता रविंद्र धांगलेकर ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख अजित पवार से मुलाकात की। इस बैठक में संभावित गठबंधन को लेकर चर्चा हुई. धांगलेकर के अनुसार, अजित पवार ने प्रस्ताव पर विचार करने और जल्द जवाब देने का भरोसा दिलाया है.


