UP-उत्तराखंड को पछाड़कर पंजाब बना लीची हब: भगवंत मान सरकार ने खोला निर्यात का रास्ता, किसानों का मुनाफा 5 गुना बढ़ा
पंजाब के किसानों के लिए भगवंत मान सरकार ने नई खुशखबरी ला दी है. 2023-24 में 71,490 टन लीची का उत्पादन, देश का 12.39% हिस्सा याली पठानकोट से होशियारपुर तक 3,900 हेक्टेयर पर लाल-लाल लीची लहरा रही है.

पंजाब: पंजाब के किसानों के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार एक नई उम्मीद लेकर आई है. राज्य ने लीची उत्पादन और निर्यात में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, जिससे किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वर्ष 2023-24 में पंजाब ने 71,490 मीट्रिक टन लीची का उत्पादन किया, जो देश के कुल उत्पादन का 12.39% है. वहीं, वर्तमान वित्तीय वर्ष में भी यह स्तर लगभग समान बना हुआ है.
पठानकोट, गुरदासपुर, नवांशहर, होशियारपुर और रोपड़ जिलों में 3,900 हेक्टेयर क्षेत्र में लीची की खेती की जा रही है, जिनमें अकेले पठानकोट में 2,200 हेक्टेयर शामिल हैं. फसल विविधीकरण नीति ने किसानों को गेहूं-धान के पारंपरिक चक्र से निकालकर सालभर स्थिर आय का अवसर दिया है.
पहली बार पंजाब की लीची पहुंची लंदन
वर्ष 2024 में पहली बार पंजाब की लीची ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम रखा, जब 10 क्विंटल लीची लंदन भेजी गई. इन लीचियों को बाजार में 500% प्रीमियम मूल्य मिला, जिससे किसानों की कमाई कई गुना बढ़ गई. सफलता की यह श्रृंखला 2025 में भी जारी रही, जब कतर और दुबई को 1.5 मीट्रिक टन लीची का निर्यात किया गया. वर्तमान में 600 क्विंटल लीची के निर्यात ऑर्डर बुक किए जा चुके हैं, जिनका अनुमानित मूल्य ₹3 से ₹5 करोड़ तक है.
किसानों के लिए सब्सिडी और राहत योजनाएं
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मान सरकार ने लीची उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं.
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पैकिंग बॉक्स और क्रेट्स पर 50% सब्सिडी
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पॉलीहाउस शीट बदलने पर ₹50,000 प्रति हेक्टेयर सहायता
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ड्रिप सिस्टम पर ₹10,000 प्रति एकड़ मदद
राज्य सरकार ने कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. पठानकोट और गुरदासपुर जिलों में नए पैकहाउस बनने से किसानों की लागत में 40–50% की कमी आई है.
निर्यात गुणवत्ता बढ़ाने का ग्लोबल प्रशिक्षण
निर्यात मानकों को बढ़ाने के लिए केवीके के माध्यम से 5,000 किसानों को ग्लोबलगैप प्रशिक्षण दिया गया है. इसके अलावा, एपीडा साझेदारी से किसानों को एयर कार्गो पर ₹5–10 प्रति किलोग्राम सब्सिडी भी मिल रही है. राज्य सरकार पठानकोट लीची के जीआई टैग के लिए प्रयासरत है. इन पहलों से किसानों की आमदनी में 20–30% तक की बढ़ोतरी हुई है, जबकि निर्यात क्लस्टरों में प्रति एकड़ ₹2–3 लाख तक की कमाई हो रही है.
अन्य राज्यों से कई कदम आगे पंजाब
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जहां उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्य लीची उत्पादन में आगे हैं, वहीं पंजाब निर्यात में इनसे बहुत आगे निकल चुका है.
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उत्तर प्रदेश में 50,000 मीट्रिक टन उत्पादन के बावजूद निर्यात केवल 0.5 मीट्रिक टन से कम है.
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झारखंड में 65,500 मीट्रिक टन उत्पादन होने पर भी निर्यात लगभग नगण्य है.
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असम और उत्तराखंड जैसे राज्यों में उत्पादन क्रमशः 8,500 और 5,000 मीट्रिक टन है, पर निर्यात बेहद सीमित है.
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इसके विपरीत पंजाब की ड्रिप इरिगेशन, कोल्ड स्टोरेज और सब्सिडी योजनाओं ने राज्य को एक मजबूत लीची निर्यातक के रूप में स्थापित किया है.
पंजाब की लीची बनेगी अंतरराष्ट्रीय ब्रांड
मान सरकार का यह अभियान अब पंजाब को देश का अग्रणी लीची निर्यात केंद्र बना रहा है. 71,490 मीट्रिक टन उत्पादन, 600 क्विंटल निर्यात ऑर्डर और 500% प्रीमियम कीमत के साथ पंजाब किसानों की आर्थिक ताकत के रूप में उभरा है. आने वाले समय में 'पठानकोट लीची' के जीआई टैग से पंजाब को फलोत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान मिलने की पूरी संभावना है.


