पंजाब सरकार ने स्कूलों में एनर्जी ड्रिंक पर लगाई रोक, ‘स्टिंग’ पर भी प्रतिबंध
स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि किसी ने स्कूली छात्रों को एनर्जी ड्रिंक दी या बेची, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह फैसला बच्चों को नशे जैसी लतों से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है. मंत्री ने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार नशे के खिलाफ पूरी मजबूती से संघर्ष कर रही है और इसके लिए हर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं.

पंजाब सरकार ने राज्यभर के सभी स्कूलों में एनर्जी ड्रिंक, विशेष रूप से 'स्टिंग' के सेवन और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने का निर्णय लिया है. यह घोषणा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने मानसा जिले में मीडिया से बातचीत के दौरान की. उन्होंने बताया कि यह कदम बच्चों को नशे की लत से बचाने और राज्य में चल रही नशा मुक्ति मुहिम को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है.
एनर्जी ड्रिंक बेचने पर सख्त कार्रवाई
स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि जो लोग स्कूली छात्रों को एनर्जी ड्रिंक बेचते या उपलब्ध कराते पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नशे के खिलाफ एक निर्णायक युद्ध लड़ रही है और इस लड़ाई में समाज के हर वर्ग का सहयोग जरूरी है.
खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर जांच अभियान
बलबीर सिंह ने यह भी बताया कि राज्य में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है. सरकार का उद्देश्य है कि लोगों को शुद्ध और मिलावट रहित खाद्य सामग्री मिले. उन्होंने कहा कि जो व्यापारी और दुकानदार शुद्ध खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराएंगे, उन्हें सरकार की ओर से सम्मानित किया जाएगा, जबकि नकली या मिलावटी सामान बेचने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा.
इसके साथ ही, मानसा जिले में नशीले कैप्सूल 'सिग्नेचर' (प्रेगाबालिन) की बढ़ती बिक्री को रोकने के लिए विशेष निर्देश जारी किए गए हैं. जिला प्रशासन और मेडिकल स्टोर संचालकों को इस दवा की बिक्री पर तत्काल रोक लगाने को कहा गया है.
मंत्री ने सीधा जवाब देने से किया परहेज
हालांकि, जब मानसा के सिविल अस्पताल की व्यवस्था और सुविधाओं पर सवाल पूछा गया तो मंत्री ने सीधा जवाब देने से परहेज किया. उन्होंने केवल इतना कहा कि अस्पतालों की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रयास जारी हैं और इस दिशा में शीघ्र ठोस कदम उठाए जाएंगे.