आयं! धनिया, पुदीना नहीं...इस राज्य के लोग चाव से खाते हैं चींटियों की चटनी, जानिए इसके फायदे
भारतीय घरों में अक्सर लोग धनिया पुदीना की चटनी चाव से खाते हैं. लेकिन एक ऐसा राज्य हैं जहां चींटियों की चटनी बनाकर खाते हैं. जी हैं सुनकर आपको अजीब लगा होगा लेकिन ये सच है. इस राज्य के लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं जिसके फायदे भी है. ये चटनी बीमारी में बेहद फायदेमंद साबित होती है.

भारत के विभिन्न राज्यों में तरह-तरह के अनोखे और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और खाए जाते हैं. भारतीय भोजन की विविधता न सिर्फ स्थानीय संस्कृति को दर्शाती है, बल्कि यह दुनियाभर में मशहूर भी है. आम, धनिया, पुदीना, और आंवला जैसी चटनियों का तो लगभग हर घर में सेवन होता है, लेकिन क्या आपने कभी लाल चींटी की चटनी के बारे में सुना है? यह चटनी ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी समुदाय द्वारा बनाई जाती है और हाल ही में इसे जीआई टैग से नवाजा गया है.
यह चटनी अपने विशिष्ट स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध है. 2 जनवरी, 2024 को जीआई टैग मिलने के बाद, इस चटनी को पूरे देश में अधिक पहचान मिली है. ओडिशा के अलावा यह चटनी छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी खाई जाती है. तो आइए जानते हैं कि कैसे बनती है यह अद्भुत लाल चींटी की चटनी और इसके स्वास्थ्य लाभ क्या हैं.
ओडिशा में बनती है लाल चींटी की चटनी
लाल चींटी की चटनी मयूरभंज जिले के आदिवासी समुदाय के लोगों द्वारा बनाई जाती है.इसे स्थानीय भाषा में "काई चटनी" (Kai Chutney) कहा जाता है. यह चटनी लाल वेवर चींटी (Red Weaver Ants) और उनके अंडों से बनाई जाती है, जो मुख्य रूप से ओडिशा के जंगलों में पाई जाती हैं. विशेष रूप से इसके स्वाद और औषधीय गुणों के कारण इसे जीआई टैग से सम्मानित किया गया है.
कैसे बनती है लाल चींटी की चटनी
लाल वेवर चींटियों का पता मयूरभंज जिले के घने जंगलों में चलता है.वहां के आदिवासी लोग इन चींटियों और उनके अंडों को उनके बिलों से इकट्ठा करते हैं. इसके बाद, इन चींटियों और अंडों को अच्छे से साफ किया जाता है. फिर इन्हें पीसकर सूखा लिया जाता है और इसके बाद इसमें लहसुन, अदरक, मिर्च, और नमक मिलाकर एक बार फिर से पीसकर चटनी तैयार की जाती है. इस चटनी को खाने से न सिर्फ स्वाद की तृप्ति होती है, बल्कि सेहत के लाभ भी मिलते हैं.
लाल चींटी की चटनी के फायदे
लाल चींटी की चटनी कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी-12, आयरन, मैग्नीशियम, और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते हैं. इसके नियमित सेवन से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, थकान और डिप्रेशन कम होते हैं, और मेमोरी लॉस की समस्या से भी राहत मिलती है. इसके अलावा, यह चटनी नर्वस सिस्टम को मजबूत करने में मदद करती है.
आदिवासी समुदाय की जीविका
मयूरभंज जिले के सैकड़ों आदिवासी परिवार इन चींटियों और चटनी को बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं. यह उनके लिए न सिर्फ एक पारंपरिक व्यंजन है, बल्कि यह उनका एक महत्वपूर्ण व्यापारिक स्रोत भी है. जीआई टैग मिलने के बाद इन चटनियों की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे इन परिवारों को और अधिक आर्थिक फायदा हुआ है.
स्वस्थ और पोषक तत्वों से भरपूर
लाल चींटी की चटनी न केवल स्वाद में खास है, बल्कि यह एक स्वस्थ और पोषक तत्वों से भरपूर विकल्प भी है. ओडिशा के आदिवासी समाज द्वारा बनाई जाने वाली यह चटनी अब पूरे देश में सुर्खियां बटोर रही है और इसके स्वास्थ्य लाभ भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुके हैं. अगर आप भी स्वास्थ्य और स्वाद का अनोखा मिश्रण चाहती हैं, तो एक बार इस चटनी का स्वाद जरूर लें.


