वो मुगल बादशाह जो नंगा होकर दरबार में करता था नाच, औरतों के पहनता था लिबाज
Mughal History: मुगल इतिहास में एक ऐसे बादशाह का भी जिक्र है जिसे उसकी अजीबोगरीब हरकतों के लिए जाना जाता है. मुगल बादशाह जहांदार शाह ने सत्ता से ज्यादा अय्याशी को प्राथमिकता दी. महज 9 महीने के शासन में उसने ऐसे फैसले लिए, जिन्होंने उसे 'लंपट मूर्ख' मुगल का दर्जा दिला दिया.

Mughal History: मुगल साम्राज्य के कई शासक अपनी बुद्धिमत्ता और रणनीतिक कौशल के लिए प्रसिद्ध रहे, लेकिन कुछ बादशाह ऐसे भी हुए जिनकी अय्याशी और मूर्खता ने उन्हें इतिहास में बदनाम कर दिया. ऐसा ही एक नाम था जहांदार शाह का, जिसे इतिहासकारों ने 'लंपट मूर्ख' मुगल कहकर संबोधित किया. यह शासक अपनी रंगीन मिजाजी, अजीबोगरीब हरकतों और क्रूर फैसलों के लिए जाना जाता था.
जहांदार शाह ने 1712 में अपने पिता बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु के बाद अपने भाइयों को हराकर मुगल तख्त पर कब्जा किया. हालांकि, उसका शासनकाल महज 9 महीने ही चल सका. उसकी बदनाम अय्याशियों और लाल कुंवर के प्रति अंधभक्ति ने उसे सत्ता से दूर कर दिया.
लाल कुंवर के मोह में फंसा बादशाह
जहांदार शाह का जीवन पूरी तरह ऐशो-आराम और अय्याशी में डूबा था. कहा जाता है कि वह बचपन से ही शराब और मुजरे का शौकीन था, और यही आदतें उसके शासनकाल में भी बनी रहीं. जहांदार शाह ने एक तवायफ लाल कुंवर को दरबार में नाचते देखा और उसे अपनी बेगम बना लिया. दिलचस्प बात यह थी कि लाल कुंवर की उम्र जहांदार शाह से लगभग दोगुनी थी, लेकिन उसकी खूबसूरती और चालाकी ने बादशाह को पूरी तरह अपने वश में कर लिया.
सत्ता पर लाल कुंवर का नियंत्रण
जहांदार शाह ने लाल कुंवर को 'इम्तियाज महल' की उपाधि दी और उसे अपने शासन का मुख्य केंद्र बना दिया. दरबार में लाल कुंवर की हुकूमत चलती थी, और उसने अपने रिश्तेदारों को ऊंचे ओहदों पर बैठा दिया. जहांदार शाह उसकी हर बात मानता था, यहां तक कि उसने अपने ही बेटों को कैदखाने में डाल दिया.
नंगा होकर ही गद्दी पर बैठ जाता था
जहांदार शाह की सनक और मूर्खतापूर्ण हरकतों के कई किस्से इतिहास में दर्ज हैं. कभी वह नशे में चूर होकर औरतों के कपड़े पहनकर दरबार में आता, तो कभी नंगा होकर ही गद्दी पर बैठ जाता था. कहा जाता है कि एक बार महज मनोरंजन के लिए उसने एक नाव को डुबोने का आदेश दिया, ताकि लोगों की चीखें सुनकर हंसी का मजा ले सके.
कैदखाने में हुई हत्या
जहांदार शाह की इन हरकतों से जनता में भारी रोष था. उसकी अय्याशी और गलत फैसलों का फायदा उठाकर उसके भतीजे फर्रूखसियर ने 6 जनवरी 1713 को उसे हराकर सत्ता पर कब्जा कर लिया. पराजित जहांदार शाह लाल कुंवर के साथ भागकर दिल्ली में शरण लेने की कोशिश करता रहा, लेकिन उसे पकड़ लिया गया और बाद में कैदखाने में ही उसकी हत्या कर दी गई.


