डर सिर्फ इंसानों से था... कर्नाटक की गुफा में रह रही महिला की कहानी वायरल, सोशल मीडिया पर मांगी इंसाफ
कर्नाटक के गोकर्ण की एक गुफा में रह रही रूसी महिला नीना कुटीना की अनोखी और भावुक कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. नीना पिछले कई सालों से अपनी दो बेटियों के साथ जंगल की एक गुफा में रह रही थीं, जहां न उन्हें सांपों से डर था, न जंगली जानवरों से उनका डर केवल इंसानों से था.

भारत में एक विदेशी महिला की अनोखी जिंदगी इन दिनों सुर्खियों में है. रूस की नीना कुटीना नाम की महिला अपनी दो बेटियों के साथ पिछले कई वर्षों से कर्नाटक के गोकर्ण क्षेत्र की एक गुफा में रह रही थीं. उनका कहना है कि उन्हें जंगल में कभी किसी जानवर या सांप से डर नहीं लगा, लेकिन इंसानों से हमेशा खतरा महसूस हुआ. नीना की यह असामान्य जीवनशैली और अब डिटेंशन सेंटर में रहने की मजबूरी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती साझा करते हुए नीना ने बताया कि गुफा में उनका जीवन बेहद शांत और प्राकृतिक था, लेकिन अब उन्हें एक ऐसी जगह में रहना पड़ रहा है जो जेल से भी बदतर है. सरकार अब उन्हें उनके देश वापस भेजने की तैयारी में है, मगर नीना की दिली ख्वाहिश है कि वे फिर से प्रकृति की गोद में लौट सकें.
कई सालों से रह रहीं थीं गुफा में, पुलिस ने हटाया
नीना कुटीना और उनकी दो बेटियां गोकर्ण के पास एक गुफा में कई सालों से रह रही थीं. बिना बिजली, इंटरनेट या पक्के घर के वे प्रकृति के बीच सादा जीवन बिता रही थीं. लेकिन हाल ही में जब पुलिस को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने नीना और उनके बच्चों को वहां से हटाकर पहले कुमटा स्थित आश्रम में रखा, फिर सरकारी आदेश पर टुमकुरु के डिटेंशन सेंटर भेज दिया.
“गुफा मेरा घर था, अब कैद में हूं”
नीना ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “हमारा गुफा वाला जीवन खत्म हो गया. अब हम ऐसी जगह हैं जहां कुछ नहीं है- न आसमान, न झरना, बस एक ठंडी जमीन है.” उन्होंने बताया कि बच्चों के खेलने के लिए घास थी, झरने की आवाज़ शांति देती थी और पूरा वातावरण सुकून भरा था.
वीजा खत्म, पासपोर्ट एक्सपायर... और फिर गिरफ्तारी
नीना 2016 में बिज़नेस वीज़ा पर भारत आई थीं. कुछ समय गोवा में एक रिज़ॉर्ट में भी काम किया. लेकिन वीज़ा की अवधि खत्म होने के बाद भी वह यहीं रहीं. 2018 में भारत छोड़ने का आदेश मिला, लेकिन उन्होंने नेपाल जाकर फिर गोकर्ण वापसी की. 2019 में पासपोर्ट की वैधता भी समाप्त हो गई, जिसके चलते अब उन्हें डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
“प्रकृति ने कभी नहीं सताया, इंसानों ने हमेशा दुख दिया”
नीना ने कहा कि जंगल में कभी किसी जानवर ने हमला नहीं किया, न किसी सांप ने डंसा. लेकिन इंसानों से हमेशा डर लगा. इंसान ही एकमात्र जीव है जो दूसरों को तकलीफ देता है. बता दें कि नीना का ये बयान तेजी से वायरल हो रहा है.
डिटेंशन सेंटर में हालात खराब
नीना का कहना है कि अब वह एक ऐसी जगह पर हैं जहां न खुले आसमान की छांव है, न पेड़ों की हरियाली. उन्हें ठंडी और सख्त फर्श पर सोना पड़ता है. बच्चों की भी यही हालत है.
क्या होगी नीना की अगली मंजिल?
सरकार का रुख साफ है नीना को रूस वापस भेजा जाएगा. लेकिन जब तक वह टिकट नहीं खरीदतीं, उन्हें डिटेंशन सेंटर में ही रहना होगा. नीना अब भी आशा रखती हैं कि शायद कोई रास्ता निकले और वह फिर से प्रकृति की गोद में लौट सकें.


