शालीमार बाग की जनता ने रेखा गुप्ता को वोट देकर चुना था न कि उनके पति को... सौरभ भारद्वाज का BJP पर तंज
आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर आरोप लगाया है कि उनके पति बिना किसी आधिकारिक पद के सरकारी बैठकों में भाग ले रहे हैं और अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं. उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए भाजपा से जवाब मांगा. सौरभ ने प्रधानमंत्री मोदी से नैतिकता और शासन की पारदर्शिता पर स्पष्ट राय देने की मांग की है.

Saurabh Bhardwaj Press Conference : दिल्ली की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने दावा किया कि दिल्ली जैसे संवेदनशील और अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर में एक महिला मुख्यमंत्री के नाम पर उसके पति द्वारा सरकारी कामकाज संभालना न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि यह पूरी शासन प्रणाली का मज़ाक भी बनाता है.
वास्तव में सरकार की कमान उनके पति संभाल रहे
भाजपा ने दिल्ली को "फुलेरा की पंचायत" बना दिया
भारद्वाज ने कहा कि पहले यह कहा जाता था कि भाजपा ने दिल्ली को "फुलेरा की पंचायत" बना दिया है, लेकिन अब यह कहावत एक गंभीर वास्तविकता में बदल गई है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे कई ग्राम पंचायतों या नगर निगमों में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर पुरुष उम्मीदवार अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा देते हैं और फिर खुद ही सारे कार्यभार संभालते हैं. यह बात निचले स्तर की राजनीति में चलती है, लेकिन दिल्ली जैसे राजधानी राज्य में इसका दोहराया जाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है.
वीडियो प्रमाण और भाजपा की सफाई पर सवाल
सौरभ भारद्वाज ने प्रेस वार्ता में कुछ वीडियो दिखाए, जिनमें मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पति अधिकारियों के साथ बैठकों में भाग लेते, निर्देश देते और निरीक्षण करते हुए दिख रहे हैं. उन्होंने भाजपा द्वारा दी गई सफाई को खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ "एक बैठक में बैठने की बात" नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है, जिसके ज़रिए मुख्यमंत्री के पति की अधिकारिक हैसियत बनाई जा रही है.
भाजपा के पुराने उदाहरणों की ओर इशारा
भारद्वाज ने भाजपा द्वारा शीला दीक्षित सरकार के समय की घटनाओं का हवाला दिए जाने को भी घेरा. उन्होंने कहा कि उस समय अगर कोई अनौपचारिक सहायता करता था, तो वह सरकार की ओर से आधिकारिक नहीं थी. वहीं, आज तो खुद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता अपने सोशल मीडिया पर अपने पति की सरकारी गतिविधियों की वीडियो साझा कर रही हैं, जो यह दर्शाता है कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है.
आप का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल
इस पूरे मामले में सौरभ भारद्वाज ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सीधे सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि जो प्रधानमंत्री नैतिकता और स्वच्छ राजनीति की बातें करते हैं, उन्हें इस पर अपनी स्पष्ट राय देनी चाहिए कि क्या एक मुख्यमंत्री का पति बिना किसी संवैधानिक या कानूनी अधिकार के सरकारी अधिकारियों को निर्देश दे सकता है? क्या यही "न्यू इंडिया" की परिकल्पना है?
तीन महत्वपूर्ण सवाल जो भाजपा से पूछे गए
1. क्या मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता स्वयं अपने कार्यों को करने में सक्षम नहीं हैं?
2. क्या भाजपा के पास कोई योग्य व्यक्ति नहीं है जो ओएसडी या पीएस बनकर मुख्यमंत्री की मदद कर सके?
3. क्या भाजपा कोई ऐसा कानून बता सकती है, जो मुख्यमंत्री के पति को आधिकारिक बैठकों में भाग लेने और अधिकारियों को निर्देश देने का अधिकार देता हो?
राजनीति में पारदर्शिता बनाम पारिवारिक हस्तक्षेप
सौरभ भारद्वाज का यह आरोप केवल एक राजनीतिक हमला नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी प्रणाली पर उठता सवाल है — क्या निर्वाचित पदों पर बैठे लोग अपने परिवारजनों को अधिकारिक कामों में शामिल कर सकते हैं? अगर ऐसा होता है तो इसका असर न केवल शासन व्यवस्था पर पड़ेगा, बल्कि लोकतंत्र की नींव भी कमजोर होगी. यह मामला अब महज एक दल बनाम दूसरे दल का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह एक गवर्नेंस और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुचिता का सवाल बन गया है, जिस पर देश भर की निगाहें टिकी हुई हैं.


