Nepal Gen-Z Protest : दोस्त के सिर में गोली मारी...प्रदर्शनकारियों ने लगाए आरोप, बोले- पुलिस ने शुरू की हिंसा
नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ Gen-Z युवाओं का व्यापक आंदोलन उग्र हो गया. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन को घेरा, जिससे हालात बिगड़ गए. पुलिस की फायरिंग में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा घायल हुए हैं. सरकार के इस निर्णय के खिलाफ जन आक्रोश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, भ्रष्टाचार और डिजिटल अधिकारों को लेकर एक बड़ा जनांदोलन बनता जा रहा है.

Nepal Protests 2025 : नेपाल की राजधानी काठमांडू सोमवार को उस समय युद्धक्षेत्र में तब्दील हो गई जब हजारों की संख्या में युवाओं ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शनकारियों की नई पीढ़ी थी Gen Z जो इंटरनेट और डिजिटल अभिव्यक्ति को अपना मूल अधिकार मानती है. जैसे ही यह भीड़ संसद भवन के पास पहुंची, हालात बेकाबू हो गए और पुलिस को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा. वहीं एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि गोलीबारी के दौरान उसका एक दोस्त, जो सड़क पर खड़ा था, पुलिस की गोली से सिर घायल हो गया
बैरिकेड तोड़ संसद भवन तक पहुंचे प्रदर्शनकारी
कर्फ्यू और सेना की तैनाती से भी नहीं थमा गुस्सा
सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडू के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है, जिनमें संसद, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री निवास और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान शामिल हैं. इसके साथ ही सेना को भी तैनात किया गया है. लेकिन इस दमनात्मक कार्रवाई से जनाक्रोश और भी बढ़ गया. सोशल मीडिया बैन के साथ-साथ अब यह आंदोलन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सरकारी भ्रष्टाचार और लोकतंत्र की रक्षा का प्रतीक बन चुका है.
'दोस्त को सिर में गोली मारी गई', बोले प्रदर्शनकारी
प्रदर्शन में भाग लेने वाले युवाओं का कहना है कि उनका आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था, लेकिन पुलिस ने बर्बरता दिखाई. एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि गोलीबारी के दौरान उसका एक दोस्त, जो सड़क पर खड़ा था, पुलिस की गोली से सिर घायल हो गया. एक अन्य ने कहा कि उन्हें घुटनों से ऊपर गोली मारी जा रही है, जो साफ तौर पर अत्यधिक बल प्रयोग का संकेत है. युवाओं का कहना है कि वे सरकार से केवल जवाब चाहते हैं न कि गोली.
विरोध के स्वर को दबाना चाहती है सरकार
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर 2025 को 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स—जैसे Facebook, Instagram, YouTube, WhatsApp और X पर बैन लगा दिया था. सरकार का तर्क था कि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया और इनसे फेक न्यूज, घृणात्मक भाषण और ऑनलाइन फ्रॉड जैसे अपराध हो रहे हैं. लेकिन युवाओं का मानना है कि सरकार इस बहाने उनके विरोध के स्वर को दबाना चाहती है, और यह बैन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है.
आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं Gen Z युवा
इस पूरे आंदोलन की कमान 18 से 30 साल के युवाओं ने संभाली है. वे तकनीक-प्रेमी, पढ़े-लिखे और विचारशील हैं. 'हामी नेपाल' नामक संगठन ने पहले से अनुमति लेकर रैली आयोजित की थी, और सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने रूट मैप, सेफ्टी टिप्स और शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील साझा की थी. लेकिन जिस तरह से पुलिस ने हिंसक कार्रवाई की, उसने पूरे देश में असंतोष की लहर फैला दी.
यह सिर्फ एक विरोध नहीं, लोकतंत्र के लिए चेतावनी
नेपाल में जेन-Z युवाओं द्वार शुरू हुए इस आंदोलन को सोशल मीडिया तक सीमित समझना हमारी भूल होगी. वास्तव में यह एक सामाजिक चेतना की शुरुआत भी है. जहां युवा भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दों पर चुप नहीं रह सकता. यह आंदोलन अपने आप में इस बात का प्रतीक है कि अगर सरकारें संवाद से नहीं चलेगी, तो सड़कों पर जवाब मिलता रहेगा.


