ऑपरेशन अस्मिता के तहत UP पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, धर्मांतरण गिरोह का किया भंडाफोड़
अगरा पुलिस ने 'ऑपरेशन अस्मिता' के तहत एक धार्मिक परिवर्तक गिरोह का भंडाफोड़ किया, जो किशोर लड़कियों को कट्टरपंथी बनाने और जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाने का काम कर रहा था. इस गिरोह का लिंक लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था, जो यूएई, कनाडा, लंदन और अमेरिका से वित्तीय सहायता प्राप्त कर रहा था. पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, और मामले की जांच जारी है.

आगरा पुलिस ने 'ऑपरेशन अस्मिता' के तहत एक ऐसे धार्मिक रूपांतरण सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है, जो कथित तौर पर ISIS जैसे जिहादी पैटर्न पर काम कर रहा था. यह सिंडिकेट विशेष रूप से नाबालिग लड़कियों को कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित कर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर रहा था. पुलिस ने बताया कि इस सिंडिकेट का कार्यक्षेत्र बड़ा था, और इसमें कई अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन थे, जिनमें पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का नाम सामने आया है.
कैसे सामने आया मामला
यह मामला मार्च 2025 में सामने आया, जब आगरा के सदर बाजार पुलिस स्टेशन में दो बहनों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई. पुलिस जांच में पता चला कि दोनों बहनें एक बड़े नेटवर्क से जुड़ी हुई थीं, जो लड़कियों को इस्लाम में धर्म परिवर्तन और अन्य राज्यों में उनकी तस्करी करता था.
धार्मिक रूपांतरण के रास्ते
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस सिंडिकेट का नेटवर्क हिंदू लड़कियों को इस्लामिक प्रचार, यूट्यूब चैनल्स और गुप्त ऑनलाइन सत्रों के जरिए भटकाता था. इसमें स्थानीय भर्तीकर्ताओं का भी इस्तेमाल किया जाता था, जो इन लड़कियों को मानसिक रूप से कट्टरपंथी बना देते थे और फिर उन्हें फर्जी पहचान के साथ अन्य राज्यों में भेज देते थे.
कश्मीर बुलाकर करवाया धर्म परिवर्तन
इस घटना में, बड़ी बहन, जो जूलॉजी में एम.फिल कर रही थी, ने 2021 में कश्मीर की एक महिला सायमा से संपर्क किया था. सायमा ने उसे कश्मीर बुलाया और वहां उसकी धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हुई. पहली बार ट्रैक करने के बाद, वह फिर से मार्च 2025 में लापता हो गई. इस बार उसने अपनी 19 वर्षीय छोटी बहन को भी साथ लिया था. दोनों को कुछ दिन बाद कोलकाता में खोजा गया.
परिवार ने बड़ी बेटी पर लगाया आरोप
परिवार ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि बड़ी बेटी ने पहले इस्लाम को अपनाया था और वह परिवार की परंपराओं से दूर हो गई थी. इसके बाद से छोटी बहन पर भी बड़ी बहन का असर था. परिवार का कहना था कि जब छोटी बहन की उम्र 18 साल हुई, तो उसे जानबूझकर निशाना बनाया गया, ताकि कानूनी दायरे का फायदा उठाया जा सके और उसे धर्म परिवर्तन कराया जा सके.
सिंडिकेट का modus operandi
पुलिस ने बताया कि इस धार्मिक रूपांतरण सिंडिकेट को लश्कर-ए-तैयबा द्वारा फंड किया जाता था, और पैसा यूएई, कनाडा, लंदन और अमेरिका के रास्ते भारत भेजा जाता था. सिंडिकेट के प्रमुख सदस्य, जैसे कि गोवा की आयशा और शेखर राय, जो कोलकाता में इस सिंडिकेट के कानूनी सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे, ने इस काम को संभाला था.
आरोपी की गिरफ्तारी
आगरा पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें अब्दुल रहीम क़ुरीशी भी शामिल है. क़ुरीशी को एक साधारण व्यक्ति बताया जा रहा था, जो एक जूता दुकान पर काम करता था. उसके माता-पिता ने दावा किया कि उन्हें अपने बेटे की गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. पुलिस ने 17 जुलाई को क़ुरीशी को गिरफ्तार किया, हालांकि अभी तक आरोपों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है.
आरोपों का खंडन
क़ुरीशी के माता-पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनके बेटे के खिलाफ लगाए गए आरोप गलत हैं और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की अपील कर रहे हैं.
पिछले घटनाक्रमों से जुड़ा
यह मामला उन कई कथित धर्म परिवर्तन सिंडिकेट्स की श्रृंखला का हिस्सा है, जो उत्तर प्रदेश में 2021 से सामने आ रहे हैं. इससे पहले मौलाना उमर गौतम और मौलाना कलीम सिद्दीकी के नेटवर्क का भी भंडाफोड़ किया गया था. हाल ही में बलरामपुर के चंगुर बाबा सिंडिकेट का भी खुलासा हुआ था, जिससे यह साबित होता है कि इस तरह के नेटवर्क अभी भी सक्रिय हैं.
यह मामला एक गंभीर सामाजिक और धार्मिक समस्या की ओर इशारा करता है. ऐसे सिंडिकेट्स के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि नाबालिगों और कमजोर वर्गों का शोषण रोका जा सके और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.


