क्या है बिहार में जब्त कैलिफोर्नियम? 50 ग्राम की कीमत 850 करोड़; बड़ी साजिश की आशंका

What is Californium: बिहार की गोपालगंज पुलिस ने कैलिफोर्नियम नाम का एक मेटल जब्त किया है. इसके बाद से राज्य में बवाल मचा हुआ है. पुलिस ने मेटल के साथ 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसकी 50 ग्राम की कीमत 850 करोड़ रुपये होती है. इसका उपयोग न्यूक्लियर पावर प्लांट और एटमी हथियार में किया जाता है. इस कारण आशंका जताई जा रही है कि कही कोई बड़ी साजिश तो नहीं रची जा रही है.

JBT Desk
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What is Californium: पुलों और अपनी सियासत को लेकर सुर्खियों में रहने वाला बिहार कैलिफोर्नियम नाम की धातु को लेकर चर्चा में है. गोपालगंज ये धातु बरामद की है. इसकी चर्चा इस लिए भी इतनी हो रही है कि ये खतरनाक होने के साथ ही बड़े महंगी भी है. इंटरनेशनल बाजार में इसके 50 ग्राम की कीमत 850 करोड़ रुपये बताई जाती है. ये एक रेडियो एक्टिव पदार्थ है और इसका उपयोग एटमी हथियारों के साथ ही न्यूक्लियर प्लांट में किया जाता है. इसी कारण एक तस्कर और दो लाइनर की गिरफ्तारी के बाद बड़ी साजिश की आशंका जताई जा रही है. आइये जानें ये कैलिफोर्नियम क्या है?

गोपालगंज पुलिस ने दूसरे सबसे महंगे रेडियोएक्टिव कैलिफोर्नियम के साथ ही 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. एसपी स्वर्ण प्रभात ने के अनुसार, इसके 1 ग्राम की कीमत 17 करोड़ रुपये बताई जाती है. उन्होंने बताया कि कार्रवाई  कुचायकोट थाना क्षेत्र के बल्थरी चेकपोस्ट में हुई है. फिलहाल आरोपियों से पूछताछ करी जा रही है.

गोपालगंज पुलिस की कार्रवाई

गोपालगंज के बल्थरी चेकपोस्ट पर पुलिस ने ये कार्रवाई की है. गिरफ्तार 3 लोगों में एक तस्कर और दो लाइनर शामिल हैं. बरामद रेडियोएक्टिव की कीमत करीब 850 करोड़ के आसपास है. गिरफ्तार आरोपियों में मुख्य तस्कर छोटे लाल प्रसाद (40) उत्तर प्रदेश के कुशीनगर का है. इसके अलावा दो लोग नगर थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं.

क्या है कैलिफोर्नियम?

  • इसे देश में कोई आम आदमी खरीद और बेच नहीं सकता है.
  • इसका उपयोग न्यूक्लियर वेपन्स, न्यूक्लियर प्लांट से बिजली उत्पादन, पोर्टेबल मेटल डिटेक्टर में होता है.
  • कैलिफोर्नियम (Cf) सिंथेटिक रेडियोएक्टिव एलिमेंट होता है. ये नेचुरली धरती पर मौजूद नहीं है. इसे बनाया जाता है.
  • दुनिया में केवल 24 सिंथेटिक एलिमेंट होते हैं जिसमें से कैलिफोर्नियम एक है.
  • इसका एटॉमिक नंबर 98 है और ये पीरियोडिक टेबल में एक्टिनाइड सीरीज का सदस्य है.
  • पहली बार इसको 1950 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में बनाया गया था. इसी कारण इसका नाम कैलिफोर्नियम पड़ा
  • इसको पिघलाने के लिए 900 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है.
  • शुद्ध रूप से ये मुलायम होता है. इसको आसानी से काटा जा सकता है. हालांकि, रूम टेंपरेचर पर ये कठोर हो जाता है.

कीमती होने के 3 कारण

  • ये पर नेचरली मौजूद नहीं. इसे खास तरीके से बनाना पड़ता है. यानी ये रेयर है.
  • ये रेडियोएक्टिव पदार्थ है. इसके ट्रांसपोर्ट के लिए विशेष व्यवस्था होती है.
  • इसकी हाफ-लाइफ 1 घंटे की भी नहीं है.

बड़ी साजिश की आशंका

इसका उपयोग इंडस्ट्रियल फील्ड में तेल के कुओं में पानी और तेल की लेयर जानने के लिए होता है. इसके साथ ही ये गोल्ड और सिल्वर के डिटेक्शन, पोर्टेबल मेटल डिटेक्टर बनाने में यूज होता है. चिकित्सा के फील्ड में इस्तेमाल कैंसर मरीजों और एक्सरे मशीनों के लिए होता है. सबसे बड़ी बात कि इसका उपयोग न्यूट्रॉन न्यूक्लियर रिएक्टर के लिए होता है. इस कारण बड़ी साजिश की आशंका जताई जा रही है. खैर अभी पुलिस मामले की जांच कर रही है.

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10 August 2024, 02:00 PM IST

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