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गाली देने में कौन-सा राज्य नंबर वन? सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा

एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि दिल्ली देश का सबसे ज्यादा गाली देने वाला राज्य बन गया है, जहां पुरुषों के साथ महिलाएं और छात्राएं भी इस प्रवृत्ति में शामिल हैं. डॉ. सुनील जागलान के 'गाली बंद घर अभियान' के तहत 11 सालों में हुए इस अध्ययन ने समाज में गाली-गलौच को एक गंभीर समस्या के रूप में चिन्हित किया है.

एक हालिया सर्वे में पता चला है कि भारत के कई राज्यों में गाली देना एक आम बात है. वहीं, देशभर में सबसे ज्यादा गाली देने में दिल्ली काफी आगे निकल चुका है. हैरानी की बात तो ये है कि सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और छात्राएं भी इस प्रवृत्ति में शामिल हैं. ये सर्वे ‘सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन’ के संस्थापक और महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, डॉ. सुनील जागलान द्वारा ‘गाली बंद घर अभियान’ के तहत किया गया, जिसमें बीते 11 सालों में देशभर के 70 हजार लोगों को शामिल किया गया. इस रिपोर्ट ने समाज में बढ़ती गाली-गलौच की प्रवृत्ति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

दिल्ली में 80% लोग देते हैं गालियां

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 80 प्रतिशत लोग नियमित रूप से गाली का प्रयोग करते हैं, जिससे ये राज्य देश में ‘गाली देने वालों’ की सूची में सबसे ऊपर आ गया है. गालियों का ये चलन ना केवल घरेलू बातचीत में बल्कि सार्वजनिक स्थलों और सोशल मीडिया पर भी साफ दिखता है.

पंजाब, यूपी और बिहार भी पीछे नहीं

दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर पंजाब है, जहां 78 प्रतिशत लोग अपशब्दों का प्रयोग करते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों में ये आंकड़ा 74 प्रतिशत तक पहुंच गया है. इन राज्यों में भी गाली देना सामान्य व्यवहार का हिस्सा बनता जा रहा है. राजस्थान में 68 प्रतिशत, हरियाणा में 62 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 58 प्रतिशत, गुजरात में 55 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 48 प्रतिशत, उत्तराखंड में 45 प्रतिशत और कश्मीर में मात्र 15 प्रतिशत लोग गाली देते हैं. वहीं, पूर्वोत्तर भारत और अन्य राज्यों में यह आंकड़ा 20-30 प्रतिशत के बीच है, जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है.

महिलाएं और लड़कियां भी दे रही हैं गालियां

सर्वे के अनुसार, 30 प्रतिशत महिलाएं और छात्राएं भी गालियों का प्रयोग करती हैं. ये प्रवृत्ति खास तौर पर स्कूल और कॉलेजों में ज्यादा देखी जा रही है, जहां आपसी बातचीत में अपशब्दों का इस्तेमाल अब सामान्य होता जा रहा है. इस सर्वे में समाज के हर तबके को शामिल किया गया- जिसमें युवा, माता-पिता, शिक्षक, डॉक्टर, ऑटो ड्राइवर, स्कूल-कॉलेज के छात्र, पुलिसकर्मी, वकील, सफाईकर्मी, पंचायत सदस्य और व्यापारी जैसे 70 हजार से ज्यादा प्रतिभागी शामिल रहे.

2014 में शुरू हुआ था 'गाली बंद घर अभियान'

डॉ. सुनील जागलान ने साल 2014 में ‘गाली बंद घर अभियान’ की शुरुआत की थी. उनका कहना है कि गाली देना कोई संस्कार नहीं, बल्कि एक मानसिक बीमारी है. जब बच्चा छोटे उम्र में अपने आसपास अपशब्द सुनता है, तो वह उसके मन में बैठ जाता है और धीरे-धीरे वह उसकी आदत बन जाती है. अब तक इस अभियान के तहत देशभर के 60 हजार से ज्यादा स्थानों पर ‘गाली बंद घर’ के चार्ट लगाए जा चुके हैं. यह अभियान अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चर्चा में आ चुका है.

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01 August 2025, 12:59 PM IST

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