कौन हैं विजय सिन्हा जो फिर से बनेंगे बिहार के डिप्टी सीएम?
विजय सिन्हा, एक बार फिर से बिहार के डिप्टी सीएम बनेंगे. विजय सिन्हा, लखीसराय जिले के तिलकपुर गांव में जन्मे सिन्हा साधारण परिवार से आते हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए को मिली ऐतिहासिक सफलता ने राज्य की राजनीति में नया समीकरण स्थापित कर दिया है. 243 सदस्यीय सदन में एनडीए ने 202 सीटें जीतकर महागठबंधन को करारी शिकस्त दी. भाजपा को 89 व जेडीयू को 85 सीटें मिलने के बाद भाजपा ने अपने विधायी दल का उपनेता चुनते हुए उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर भरोसा जताया.
विजय सिन्हा ने अमरेश कुमार को कितने वोटों से हराया?
यह फैसला न केवल पार्टी के भीतर उनकी बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है, बल्कि बिहार की राजनीति में भूमिहार समुदाय के प्रभावशाली चेहरे के रूप में उनकी स्थिति को भी और मजबूत करता है. लखीसराय सीट से लगातार पांचवीं बार विजयी रहे विजय सिन्हा ने इस बार कांग्रेस प्रत्याशी अमरेश कुमार को लगभग 25 हजार मतों के अंतर से हराया. उन्हें कुल 1.22 लाख से अधिक वोट मिले.
जीत के बाद उन्होंने कहा कि जनता का समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संयुक्त नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है. उनके अनुसार, यह जनादेश राज्य के युवाओं, महिलाओं और किसानों के उज्जवल भविष्य के लिए मिला है.
5 जून 1967 को लखीसराय जिले के तिलकपुर गांव में जन्मे सिन्हा साधारण परिवार से आते हैं. पिता शिक्षक थे जबकि मां गृहिणी. स्थानीय स्कूलों से पढ़ाई के बाद उन्होंने 1989 में बेगूसराय पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया. छात्र जीवन में ही वे एबीवीपी के सक्रिय सदस्य बन गए, जिसने उनकी राजनीतिक सोच और सफर की नींव रखी. इंजीनियरिंग की डिग्री होने के बावजूद उन्होंने पेशेवर करियर छोड़कर राजनीति को ही अपना लक्ष्य बनाया. 1986 में सुशीला देवी से विवाह के बाद उनका पारिवारिक जीवन भी स्थिर रहा और उनके चार बच्चे हैं.
2005 में पहली बार विधायक बने विजय सिन्हा
1990 के दशक में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत करने वाले सिन्हा 2005 में पहली बार विधायक बने और तब से अब तक लखीसराय सीट पर लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं. 2017 में उन्हें श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया, जहां उनके काम की चर्चा रही. 2020 में वे बिहार विधानसभा के स्पीकर बने और उनके कार्यकाल में सदन की कार्यवाही में उनकी दृढ़ शैली खूब सुर्खियों में रही. हालांकि 2022 में महागठबंधन बनने के बाद अविश्वास प्रस्ताव के बीच उन्हें पद छोड़ना पड़ा.
इसके बाद वे विपक्ष के नेता बने और महागठबंधन सरकार पर लगातार हमले बोलते रहे. जनवरी 2024 में नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में लौटने पर उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया और कई अहम विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई. फरवरी 2025 में उन्हें कृषि विभाग का अतिरिक्त प्रभार मिला, जहां उन्होंने किसान हितैषी नीतियों पर जोर दिया.
चुनावी प्रचार के दौरान खोरियारी गांव में उनके काफिले पर हुए विरोध और बाद में दिए गए विवादित बयान ने भले राजनीतिक बहस को हवा दी हो, लेकिन चुनाव परिणाम बताते हैं कि उनके जनाधार पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पड़ा. भारी बहुमत से मिली जीत ने उन्हें राज्य की राजनीति में और भी सशक्तता प्रदान की है.


