तुम परेशान क्यों हो ? मेरे पास आ जाओ बेटा... 10वीं में 92% लाने वाले छात्र ने की आत्महत्या
सोलापुर के 16 वर्षीय NEET अभ्यर्थी शिवशरण भुटाली तालकोटी ने अपनी माँ की पीलिया से हुई मृत्यु के बाद अवसाद से जूझते हुए आत्महत्या कर ली. 10वीं कक्षा में 92% अंक प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र शिवशरण का सपना डॉक्टर बनने का था.

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले से एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई है. यहां 16 साल के एक होनहार छात्र शिवशरण भुटाली तालकोटी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वह NEET की तैयारी कर रहा था और उसका सपना था डॉक्टर बनने का. आत्महत्या से पहले लिखे एक पत्र में उसने बताया कि उसकी मां सपने में आईं और उन्होंने कहा – "तुम इतने परेशान क्यों हो? मेरे पास आ जाओ..."
डॉक्टर बनना चाहता था छात्र
आपको बता दें कि शिवशरण पढ़ाई में काफी होनहार था. उसने दसवीं कक्षा में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. उसका लक्ष्य था कि वह डॉक्टर बने और अपने साथ-साथ अपनी मां का सपना भी पूरा करे. मां भी चाहती थीं कि उनका बेटा बड़ा होकर एक अच्छा डॉक्टर बने.
मां की मौत से था गहरे सदमे में था शिवशरण
दरअसल, कुछ समय पहले ही शिवशरण की मां का पीलिया (जॉन्डिस) की वजह से निधन हो गया था. मां की मौत के बाद से वह गहरे सदमे में था. वह अक्सर उदास और चुपचाप रहने लगा था. पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था और वह खुद को अकेला महसूस कर रहा था.
मामा के घर रह रहा था, वहीं की फांसी
मां के निधन के बाद शिवशरण अपने मामा के घर पर रहने लगा था. यहीं पर उसने यह खौफनाक कदम उठाया. एक दिन, जब घर के लोग आसपास नहीं थे, तब उसने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी.
“मैं अब मां के पास जा रहा हूं”
शिवशरण ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने अपने दुख और मानसिक स्थिति को बयां किया. उसने लिखा कि वह अब अपनी मां के बिना जी नहीं पा रहा है और उनके पास जाना चाहता है.
पुलिस ने मामला दर्ज कर शुरू की जांच
इस घटना की जानकारी मिलते ही सोलापुर शहर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और पूरे घटनाक्रम की जांच की जा रही है.
परिवार सदमे में, हर आंख नम
इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है. किसी को यकीन नहीं हो रहा कि जो बच्चा इतना होनहार था और जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता था, उसने इतनी जल्दी हार मान ली. परिजनों का कहना है कि मां की मौत के बाद से वह मानसिक रूप से बहुत परेशान रहने लगा था.
मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक
शिवशरण की कहानी हमें यह सिखाती है कि बच्चों की भावनाओं को समझना और उन्हें मानसिक सहयोग देना बेहद जरूरी है. यदि आपके आसपास कोई व्यक्ति दुखी, तनाव में या अकेला महसूस कर रहा है, तो उससे बात करें, उसकी मदद करें या किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें.
हर परेशानी का हल है, आत्महत्या नहीं
अगर आप भी किसी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, तो कृपया चुप न रहें. अपनों से बात करें, सलाह लें और मदद लेने में झिझक महसूस न करें. दुख कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसका हल ज़रूर होता है.


