स्थानीय निकाय चुनावों में MVA की हार, क्या BMC में बीजेपी-शिवसेना बनाएंगे दबदबा?
महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति ने 288 में से 215 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया, जबकि महा विकास अघाड़ी के घटक दलों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा. इस हार से BMC समेत आगामी नगर निगम चुनावों में महायुति की जीत की संभावनाएँ मजबूत हो गई हैं.

महाराष्ट्र में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति ने जबरदस्त जीत दर्ज की है. कुल 288 शहरी निकायों की सीटों में से महायुति ने 215 सीटों पर कब्जा किया, जबकि महा विकास अघाड़ी (MVA) का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा और उसे सिर्फ 51 शीर्ष पदों पर जीत मिली. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा.
उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी ने दिखाई मजबूत पकड़
बीजेपी ने विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र में मजबूत पकड़ दिखाई, जबकि शिवसेना ने ठाणे और कोंकण क्षेत्रों में सफलता पाई. एनसीपी ने भी कुछ सीमित सफलता हासिल की, लेकिन कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की पार्टी के प्रदर्शन ने पार्टी की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया.
नगर परिषद और नगर पंचायतों में हुए चुनावों में बीजेपी को 129 सीटें मिलीं, शिवसेना को 51 और एनसीपी को 35 सीटों पर जीत हासिल हुई. वहीं, MVA में कांग्रेस केवल 35, उद्धव ठाकरे की पार्टी 9 और शरद पवार की पार्टी 7 सीटों पर संतोष करना पड़ा. इस जीत को महायुति के नेता विकास की जीत मान रहे हैं, जबकि MVA के घटक दल इसे नकद वितरण के जरिए हासिल की गई जीत करार दे रहे हैं.
इस चुनाव में बीजेपी का स्ट्राइक रेट सबसे अधिक रहा. पार्टी ने 3,450 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 2,180 जीत दर्ज की, यानी 63.1 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट. शिवसेना का स्ट्राइक रेट 54.9 प्रतिशत और एनसीपी का 44.3 प्रतिशत रहा. इसके विपरीत, MVA के घटक दलों का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा. कांग्रेस ने 1,980 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और सिर्फ 495 जीत हासिल की. उद्धव ठाकरे की पार्टी ने 1,540 में से 285 सीटें और शरद पवार की पार्टी ने 1,100 में से 190 सीटें ही जीती.
15 जनवरी को होने वाले नगर निगम चुनावों पर नजरें
अब सभी की नजर 15 जनवरी को होने वाले नगर निगम चुनावों पर टिकी है. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस अकेले मैदान में उतरेगी. उद्धव ठाकरे की पार्टी राज ठाकरे से गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है, लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है. निकाय चुनावों में MVA की हार के कारण उनके अंदर भी तनाव बढ़ गया है.


