क्या मजनू का टीला स्थित रेस्ट्रोरेंट होंगे बंद? दिल्ली हाईकोर्ट ने 'अवैध' ढांचों के खिलाफ कार्रवाई का दिया आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने मजनू का टीला के अवैध रेस्तरां और बहुमंजिला इमारतों में सुरक्षा मानकों की कमी पर अधिकारियों को कार्रवाई का आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने संरचनात्मक खामियों और आग जैसी दुर्घटनाओं का खतरा बताया, तीन महीने में कार्रवाई तय की.

नई दिल्लीः उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोकप्रिय व्यावसायिक क्षेत्र मजनू का टीला में स्थित कुछ रेस्तरां, कैफे और बेकरी पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है. यह कदम दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें अधिकारियों को उन भोजनालयों और अन्य संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है जिनके पास स्वीकृत भवन योजनाएं और सुरक्षा मानक नहीं हैं.
याचिका का मुद्दा
इस मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने यह पाया कि मजनू का टीला और इसके आस-पास की बहुमंजिला इमारतों में कई अनधिकृत रेस्तरां और व्यावसायिक प्रतिष्ठान संचालित किए जा रहे हैं. याचिका में आरोप लगाया गया कि इन इमारतों का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए हो रहा है, जबकि इनके पास आवश्यक भवन स्वीकृतियां और सुरक्षा मानक नहीं हैं.
अदालत ने कहा कि हम याचिकाकर्ता की शिकायतों की समीक्षा करने के बाद कानून के तहत उचित कार्रवाई करने के निर्देश के साथ याचिका का निपटारा करते हैं. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने पहले ही इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर शिकायत दर्ज कराई है.
तीन महीने में कार्रवाई का आदेश
हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे डी.डी.ए. द्वारा दर्ज शिकायत पर तीन महीने के भीतर निष्पक्ष और प्रभावी निर्णय लें और अवैध संरचनाओं के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करें. जस्टिस गेडेला ने सुनवाई के दौरान हल्के-फुल्के लहजे में कहा कि मजनू का टीला के लगभग सभी रेस्तरां और कैफे हटाए जाएंगे, केवल मोमोज के छोटे ठेले को छोड़कर.
संरचनात्मक खामियां
याचिका अर्नव सिंह और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया कि मजनू का टीला और न्यू अरुणा नगर की कई इमारतें 7-8 मंजिला ऊंची हैं और इनमें अवैध तहखाने, छत और मनोरंजन सुविधाएं मौजूद हैं. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इन इमारतों की संरचना और परिचालन स्थिति तत्काल और जानलेवा खतरा पैदा करती हैं.
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि अधिकांश इमारतों में सीढ़ियां केवल तीसरी या चौथी मंजिल तक ही जाती हैं, जिससे ऊपरी मंजिलों तक पहुंच केवल छोटी, कम क्षमता वाली लिफ्ट के माध्यम से ही संभव है. यह स्थिति किसी भी आपातकाल या आग जैसी दुर्घटना में गंभीर खतरे का कारण बन सकती है.
आग जैसी पिछली घटनाओं का हवाला
याचिकाकर्ताओं ने गोवा के एक नाइट क्लब में 6 दिसंबर को लगी आग में 25 लोगों की मौत का उदाहरण देते हुए कहा कि यह हादसा मजनू का टीला जैसी परिस्थितियों में भी हो सकता है. उन्होंने अदालत से तत्काल कार्रवाई की मांग की ताकि यहां के आम लोगों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.


