'...पैसे नहीं मिलते', गूगल इंजीनियर ने रविवार को 4 घंटे किया काम, वर्क-लाइफ बैलेंस पर फिर छिड़ी बहस
गूगल इंजीनियर अनु शर्मा की सोशल मीडिया पोस्ट ने वर्क-लाइफ बैलेंस पर बहस को फिर से तूल दिया, जिसमें उन्होंने स्टार्टअप्स की तुलना में FAANG कंपनियों में ऑन-कॉल होने की कठिनाई और इसके साथ जुड़े दबावों के बारे में बात की.

वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बहस कभी खत्म नहीं होती. ये मुद्दा हर कामकाजी वर्ग के लिए महत्वपूर्ण है, चाहे वो कर्मचारी हो या सीईओ. ओवरटाइम करने की उम्मीद, बिना अतिरिक्त वेतन के काम करना और इस पर चर्चा हमेशा होती रही है. अब इस बहस में एक नया मोड़ आया है, गूगल की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनु शर्मा की सोशल मीडिया पोस्ट के कारण. अनु ने रविवार को चार घंटे काम करने के बाद वर्क-लाइफ बैलेंस के मुद्दे पर अपनी राय दी.
गूगल की सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनु शर्मा ने सोशल मीडिया पर साझा किया कि उन्होंने रविवार को एक प्रोडक्शन इश्यू के कारण चार घंटे काम किया. उन्होंने इस दौरान ये भी खुलासा किया कि एक स्थापित कंपनी में ऑन-कॉल होना एक स्टार्टअप से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है. उन्होंने अंत में वर्क-लाइफ बैलेंस पर अपनी राय साझा करते हुए कहा कि कंपनियां अपने कर्मचारियों को बैलेंस के लिए वेतन नहीं देती.
गूगल इंजीनियर की पोस्ट
रविवार को चार घंटे प्रोडक्शन इश्यू पर बिताए. FAANG कंपनियों में ऑन-कॉल होना स्टार्टअप्स से कहीं ज्यादा कठिन होता है, और इसका प्रभाव भी बड़ा होता है. विश्वास करें, आपको वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए भुगतान नहीं मिलता. अनु शर्मा ने 27 अप्रैल, रविवार को X पर अपनी पोस्ट में कहा.
FAANG कंपनियों में ऑन-कॉल होने का मतलब क्या है?
टेक इंडस्ट्री में ऑन-कॉल का मतलब है कि कर्मचारी नियमित कार्य घंटों के बाहर भी अचानक आई समस्याओं या आउटेज पर प्रतिक्रिया देने के लिए जिम्मेदार होते हैं. FAANG एक संक्षिप्त रूप है, जो अमेरिका की 5 प्रमुख तकनीकी कंपनियों: फेसबुक (अब मेटा), अमेज़न, एप्पल, नेटफ्लिक्स और गूगल को दर्शाता है.
सोशल मीडिया पर तेज प्रतिक्रिया
अनु शर्मा की पोस्ट ने X पर बहस छेड़ दी. कुछ यूजर्स ने उन्हें स्टार्टअप्स के खिलाफ अपमानजनक बताया, जबकि कुछ ने उन्हें आभारी नहीं होने के आरोप में घेर लिया.
एक X यूजर ने लिखा- गूगल में काम करते हुए 40 लाख से ज्यादा का पैकेज मिलता है, तो ऑन-कॉल की शिकायत क्यों? आप एसी में बैठ कर काम करते हो और दूसरे मजदूरों और डिलीवरी लोगों की मेहनत देखो. कंपनी आपको इतना वेतन देती है, तो आपसे कुछ काम की उम्मीद भी होगी, ना कि बस 'डे इन द लाइफ' व्लॉग बनाते रहो.
दूसरे यूजर ने कहा- रविवार को चार घंटे के काम ने आपका नजरिया बदल दिया? असल बात ये है कि आप एक प्रतिष्ठित कंपनी के लिए काम कर रहे हैं और आपको आपके कौशल, प्रतिबद्धता, समर्पण और अनुभव के लिए वेतन मिलता है. अगर आपको वर्क-लाइफ बैलेंस चाहिए तो आपको कुछ और देखना होगा.
जबकि एक यूजर, नीरज सिंह ने लिखा, "बड़ी कंपनी में ऑन-कॉल होने का दबाव सचमुच अलग होता है. ये असली दबाव है और ये रविवार हो या कोई अन्य दिन, फर्क नहीं पड़ता. लोग नहीं समझते कि आप सिर्फ समय नहीं, बल्कि बहुत कुछ और खो रहे होते हैं.


