जब सब खत्म हो जाता है, तो विमान हादसे में ब्लैक बॉक्स कैसे रह जाता है सुरक्षित? समझिए इसके पीछे की टेक्नोलॉजी
ब्लैक बॉक्स एक अत्यधिक सुरक्षित डिवाइस होता है जो विमान हादसों के बाद भी डेटा को संरक्षित रखता है. इसमें CVR और FDR की मदद से पायलट की बातचीत और फ्लाइट डेटा रिकॉर्ड होता है, जिससे दुर्घटना के कारणों का पता चलता है.

Plane crash black box: विमान हादसों में अक्सर ऐसा होता है कि प्लेन का मलबा बुरी तरह से टूट-फूट जाता है और वो सिर्फ मेटल और राख का ढेर बनकर रह जाता है. इसके बावजूद, एक चीज जो हमेशा सुरक्षित पाई जाती है, वो है विमान का ब्लैक बॉक्स. ये एक ऐसा उपकरण है, जो किसी हादसे के बाद भी डेटा की सुरक्षा करता है. ब्लैक बॉक्स के बारे में जानकर हम ये समझ सकते हैं कि ये कैसे बड़े हादसे के बावजूद सुरक्षित रहता है और इस पर क्या खास टेक्नोलॉजी लागू की जाती है.
ब्लैक बॉक्स को दो महत्वपूर्ण डिवाइस मिलाकर बनाया जाता है: CVR (Cockpit Voice Recorder) और FDR (Flight Data Recorder). इन दोनों का मुख्य उद्देश्य विमान के टेक्निकल डेटा और पायलट की बातचीत को रिकॉर्ड करना है. कैसे ब्लैक बॉक्स का निर्माण किया जाता है, ये दुर्घटनाओं में क्यों सुरक्षित रहता है और इसके महत्वपूर्ण कार्य क्या हैं, आइए जानते हैं-
ब्लैक बॉक्स के निर्माण की विशेषताएं
ब्लैक बॉक्स का निर्माण बहुत ही मजबूत और विशेष सामग्री से किया जाता है, ताकि ये किसी भी प्रकार की दुर्घटना, आग, पानी और भारी दबाव को झेल सके.
1. मजबूत सामग्री से बना बाहरी कवर
ब्लैक बॉक्स का बाहरी हिस्सा टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील से बनाया जाता है. ये मेटल बेहद मजबूत होता है और किसी भी तरह के झटके या दबाव को सहन कर सकता है.
2. तेज आग से सुरक्षा
ब्लैक बॉक्स को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वो 1100°C तक की तापमान वाली आग में 60 मिनट तक सुरक्षित रह सके. इसका मतलब है कि अगर विमान में आग लग भी जाए, तो भी ब्लैक बॉक्स का डेटा सुरक्षित रहेगा.
3. भारी दबाव और पानी से बचाव
अगर विमान समुद्र में गिर जाए तो ब्लैक बॉक्स 20,000 फीट की गहराई तक दबाव और पानी का सामना कर सकता है. इसका डिजाइन इसे उन परिस्थितियों से भी सुरक्षित रखता है जो बहुत ही चुनौतीपूर्ण होती हैं.
4. अंदर की सुरक्षा परत
ब्लैक बॉक्स के अंदर विशेष इंसुलेशन, थर्मल प्रोटेक्शन और शॉक एब्जॉर्बर जैसी कई लेयर होती हैं, जो ब्लैक बॉक्स को दुर्घटनाओं से बचाती हैं और डेटा को सुरक्षित रखती हैं.
ब्लैक बॉक्स की खोज का तरीका
विमान हादसों के बाद, ब्लैक बॉक्स को ढूंढने के लिए एक अंडरवॉटर लोकेटर बीकन लगाया जाता है. ये बीकन सिग्नल भेजता है और ये सिग्नल करीब 30 दिन तक सक्रिय रहता है. इसके द्वारा खोजी टीम को ब्लैक बॉक्स का पता लगाने में मदद मिलती है, खासकर जब विमान पानी में गिर चुका हो.
ब्लैक बॉक्स का महत्व और जरूरत
ब्लैक बॉक्स विमान हादसों की सच्चाई का सबसे बड़ा गवाह होता है. इसके डेटा से सर्च एजेंसियां ये पता कर सकती हैं कि हादसे से पहले पायलट ने क्या कहा, तकनीकी खराबी किस प्रकार की थी और आखिरी क्षणों में क्या हुआ. इन महत्वपूर्ण जानकारियों के आधार पर, भविष्य में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाते हैं.


