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पृथ्वी के अलावा इस जगह पर भी है जीवन? भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी नई दुनिया!

Second World Discovered in Space: पृथ्वी के अलावा दूसरी ग्रह पर जीवन की खोज ने भारतीय वैज्ञानिकों ने खोज कर बड़ी सफलता हासिल की है.इंडियन साइंटिस्ट्स ने ऐसी जगह का पता लगाया है जहां जीवन जीने के संकेत हैं. जो पूरी दुनिया में हलचस मचा दी है.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Second World Discovered in Space:  K2-18 का अनोखा ग्रह यह एक ऐसा ग्रह है, जो पृथ्वी से 124 प्रकाश वर्ष दूर है. यह पृथ्वी से 2.6 गुना बड़ा और 8.6 गुना भारी भी है. 2015 में केपलर टेलीस्कोप ने इसे खोजा था. जो यह अपने तारे की हैबिटेबल जोन में है, जहां कल को जीवन जीना संभव हो सकता है.

भारतीय वैज्ञानिको का कमाल

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर निक्कू मधुसूदन ने इस खोज को लीड किया. IIT-BHU और MIT से पढ़े इस भारतीय वैज्ञानिक ने जेम्स वेब टेलीस्कोप से K2-18b का अध्ययन किया.उनकी टीम ने मीलकर ग्रह के वायुमंडल में जीवन के संकेत ढूंढे.जिसके बाद से आज यह खोज दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

जीवन जीने का संकेत?

K2-18b के वायुमंडल में डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS) और डाइमिथाइल डाइसल्फाइड (DMDS) मिले.जिससे पृथ्वी पर ये केमिकल्स फाइटोप्लांकटन जैसे जीव बनाते हैं.यह अब तक की सबसे मजबूत बायोसिग्नेचर खोज है.लेकिन वैज्ञानिक अभी इसे जीवन जीने के लिए अंतिम सबूत नहीं मान रहे हैं.

महासागर की उम्मीद

K2-18b में अमोनिया की कमी ने वैज्ञानिकों को चौंका कर रख दिया. यह कमी बताते हुए कि ग्रह पर विशाल समुद्र हो सकता है, जो अमोनिया सोख रहा है. यह ग्रह “Hycean” ग्रह हो सकता है, यानी हाइड्रोजन से भरा वातावरण और गर्म समुद्र. लेकिन लावा महासागर की भी आशंका उतनी ही है.

क्या है Hycean ग्रह?

K2-18b को Hycean ग्रह माना जाता है, जिसमें हाइड्रोजन-रिच वातावरण और पानी हो सकता है. इसमें मीथेन और CO2 भी पाए गए, जो पानी की मौजूदगी का एक संकेत देते हैं. लेकिन कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि यह गैसीय ग्रह हो सकता है, बिना सतह के. यह अभी बहस का विषय बना हुआ है.


खोज का सटीकता

वैज्ञानिकों को K2-18b पर DMS की मौजूदगी में तीन-सिग्मा मिला है. पक्की खोज के लिए पांच-सिग्मा चाहिए, जो अभी नहीं मिला है. और डेटा जुटाने के लिए जेम्स वेब टेलीस्कोप से नई स्टडीज चल रही हैं. अगले 1-2 साल में और जवाब मिलने की उम्मीद हैं.

वैश्विक प्रभाव

यह खोज वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में हलचल मचा रही है। नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने इसरो की इस उपलब्धि की सराहना की है। ग्लिस 229बी पर जीवन की संभावना की पुष्टि के लिए अब और गहन अध्ययन की योजना बनाई जा रही है, जिसमें भारत की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय मिशन शामिल हो सकता है। इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन ने कहा, “हमारी अगली योजना इस ग्रह पर रोबोटिक मिशन भेजने की है, ताकि वहां की सतह और वायुमंडल का और गहराई से अध्ययन किया जा सके।”

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26 June 2025, 06:26 PM IST

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