भारत में अब सभी नए मोबाइल फोनों में अनिवार्य होगा ‘संचार साथी’ ऐप, फर्जी डिवाइस और साइबर फ्रॉड पर लगेगी लगाम
अब हर नया फोन आते ही आपके हाथ में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल्ड मिलेगा. दूरसंचार विभाग (DoT) ने सभी मोबाइल कंपनियों को सख्त आदेश दे दिया है कि हर नए स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल होना जरूरी है.

नई दिल्ली: भारत में अब सभी नए मोबाइल फोनों में अनिवार्य होगा ‘संचार साथी’ ऐप, फर्जी डिवाइस और साइबर फ्रॉड पर लगेगी लगाम. दूरसंचार विभाग (DoT) ने सोमवार को एक अहम आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत में बने या आयात किए जाने वाले हर नए मोबाइल फोन में ‘संचार साथी’ ऐप का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य होगा. इस कदम का उद्देश्य मोबाइल फोन की असलियत की जांच को आसान बनाना और टेलीकॉम सेवाओं के दुरुपयोग पर रोक लगाना है.
28 नवंबर 2025 को जारी इस निर्देश के मुताबिक, ऐप फोन की शुरुआती सेटअप प्रक्रिया में आसानी से दिखाई दे और उपयोग करने में सरल होनी चाहिए. निर्माता कंपनियों को ऐप के किसी भी फीचर को छिपाने, निष्क्रिय करने या सीमित करने की अनुमति नहीं होगी. कंपनियों को 90 दिनों के भीतर निर्देश का पालन करना होगा और 120 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी. बाजार में पहले से मौजूद फोनों में इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ा जाएगा.
क्या है संचार साथी ऐप?
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‘संचार साथी’ एक नागरिक-केंद्रित प्लेटफॉर्म है, जो साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने और टेलीकॉम सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाया गया है. इसकी मदद से उपयोगकर्ता:
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IMEI नंबर के जरिए मोबाइल हैंडसेट की असलियत जांच सकते हैं
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संदिग्ध कॉल या मैसेज की शिकायत कर सकते हैं
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खोए या चोरी हुए फोन की रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं
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अपने नाम पर जारी सभी मोबाइल कनेक्शनों की जानकारी देख सकते हैं
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बैंकों और वित्तीय संस्थानों के भरोसेमंद संपर्क विवरण प्राप्त कर सकते हैं
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यह पहल टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी (TCS) नियमों द्वारा समर्थित है, जो सरकार को निर्माताओं के लिए IMEI संबंधित निर्देश जारी करने का अधिकार देती है.
क्यों जरूरी बना यह कदम?
DoT ने चेतावनी दी है कि डुप्लीकेट या स्पूफ्ड IMEI गंभीर सुरक्षा जोखिम पैदा करते हैं, जिनमें एक ही पहचानकर्ता का एक साथ कई डिवाइसों पर सक्रिय होना शामिल है. भारत के बड़े सेकेंड-हैंड मोबाइल बाजार में चोरी या ब्लैकलिस्टेड फोनों को बेचे जाने के मामले भी बढ़े हैं, जिससे खरीदार अनजाने में आपराधिक गतिविधियों में फंस जाते हैं.
संचार साथी ऐप यह जांचने में मदद करता है कि कोई IMEI ब्लॉक या ब्लैकलिस्टेड तो नहीं है. आदेश में कहा गया है कि टेलीकॉम पहचानकर्ताओं, जिसमें मोबाइल फोन का 15 अंकों वाला IMEI भी शामिल है, के साथ छेड़छाड़ ‘नॉन-बेलेबल’ अपराध है. टेलीकम्युनिकेशंस एक्ट 2023 के तहत इसके लिए तीन साल तक की कैद, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
यह आदेश सभी प्रमुख मोबाइल निर्माताओं पर लागू होगा, जिनमें Apple, Samsung, Google, Vivo, Oppo और Xiaomi शामिल हैं. ऐप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल ऐप स्टोर पर भी उपलब्ध है.
विपक्ष का विरोध
सरकार के इस आदेश पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस ने संचार साथी ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने के निर्देश को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है. कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि यह कदम नागरिकों की निजता का उल्लंघन है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि बड़ा भाई हम पर नजर नहीं रख सकता. दूरसंचार विभाग का यह निर्देश असंवैधानिक से भी परे है. निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का एक अभिन्न अंग है.
इसके अलावा शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने भी इस कदम को अप्रत्यक्ष तौर पर ‘तानाशाही प्रवृत्ति’ बताते हुए आलोचना की और पत्रकार निखिल पाहवा की पोस्ट साझा करते हुए चिंता जताई.


