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Monday, 05 September 2022
ॐलोक आश्रम: हम इस दुनिया में क्यों आए हैं? भाग 2
Sunday, 04 September 2022
ॐलोक आश्रम: हम इस दुनिया में क्यों आए हैं?
Friday, 02 September 2022
ॐलोक आश्रम: युवाओं में बढ़ रहे असंतोष के क्या कारण हैं? भाग-3
आज व्यक्ति वर्चुअल वर्ल्ड में अपना समय ज्यादा गुजार रहा है। वर्चुअल वर्ल्ड भी यथार्थ है जरूरत है लेकिन अगर आपका आध्यात्मिक आधार मजबूत है, आपका धार्मिक आधार मजबूत है तो भी आप वर्चुअल वर्ल्ड में जाओगे। जिस तरह हम किसी समुद्र के किनारे घूमने जाते हैं और घूमकर वापस अपने घर में आ जाते हैं। इसी तरह वर्जुअल वर्ल्ड में व्यक्ति जाएगा, घूमेगा लेकिन अप्रभावित रहेगा और वापस आ जाएगा।
Friday, 02 September 2022
ॐलोक आश्रम: युवाओं में बढ़ रहे असंतोष के क्या कारण हैं? भाग-2
उस असंतुष्टि का दूसरा सबसे बड़ा कारण है धर्म और आध्यात्म से पूर्णत: कट जाना। पहले जब आप चाय की दुकानों पर चर्चा करते थे, रामलीलाएं होती थीं, कथाएं होती थीं तो व्यक्ति इकट्ठे होते थे। चर्चा करते थे तो चर्चाओं के माध्यम से अनऑफिशियली व्यक्ति अपने धर्म को अपनी परंपराओं को आध्यात्म को जान जाता था।
Thursday, 01 September 2022
ॐलोक आश्रम: युवाओं में बढ़ रहे असंतोष के क्या कारण हैं? भाग-1
वर्तमान समय में जो हमारी युवा पीढ़ी है वो बहुत ज्यादा अंसतुष्ट हमें दिखाई देती है। हम सब पूरे समाज को देखते हैं तो वहां बड़ा असंतोष सा दिखाई देता है। हालांकि पिछले कुछ समयों में आर्थिक उन्नति काफी है। बावजूद इसके जो खुशी पहले थी वो खुशी अब नहीं है।
Tuesday, 30 August 2022
ॐलोक आश्रम: हमें जीवन को किस तरह से जीना चाहिए? भाग-2
हमारे शरीर के साथ भी यही है जितना वजन इसपर डाल दोगे उतना ही बुरा परफॉर्म करेगा। आज लोगों को मोटापे की समस्या है, वजन बढ़ने की समस्या है, वजन बढ़ने से जोड़ों के दर्द की समस्या है, वजन बढ़ने से बीपी समेत कई और बीमारियों की समस्याएं हो जाती हैं।
Sunday, 28 August 2022
ॐलोक आश्रम: क्या सबकुछ ईश्वर के हाथों में है?
हमारे जीवन में कई बार प्रश्न उठता है कि क्या सबकुछ पूर्व निर्धारित है। सबकुछ ईश्वर के हाथों में है सबकुछ प्रकृति के हाथों में है या मैं सबकुछ कर सकने में सक्षम हूं। सारी स्वतंत्रता मेरे पास है। क्या वस्तुस्थिति है। अलग-अलग दार्शनिकों ने अलग-अलग विद्धानों ने अपने विचार व्यक्त किए। भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं प्रकृति के जो गुण है सत्व, रज और तम ये गुण ही परस्पर क्रिया करते हैं।
Tuesday, 23 August 2022
ॐलोक आश्रम: हम सुखी कैसे हो सकते हैं? भाग-3
हम इन्द्रियों के द्वारा वस्तुओं का उपभोग करते हैं लेकिन जब ये इन्द्रियां अन्तर्मुखी हो जाएं बाहर की किसी वस्तु की जरूरत न रहे आत्मा को खुश करने के लिए वो आत्मरति की अवस्था होती है। अन्तर्रात्मा खुश हो रही है वो बाहर चीजें ढूढ़ रही है।
Tuesday, 23 August 2022
ॐलोक आश्रम: हम सुखी कैसे हो सकते हैं? भाग-2
जब बुद्ध राजपाट का त्याग करके निकले तो वे दो आश्रमों में रुके उसके बाद आगे जा रहे थे तो पड़ोसी राज्य के राजा प्रसेनजीत ने बुद्ध से मिलने की इच्छा प्रकट की और वो बुद्ध से मिलने आए और उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ अगर तुम्हें कोई जरूरत हो, तुम्हें सेनापति से नाराजगी हो या राज्य में किसी और से संकट हो तो मेरी सेना ले लो, मेरा समर्थन ले लो, मैं तुम्हारे साथ लोग भेज देता हूं और जाओ जीतो और आनंद प्राप्त करो।
Monday, 22 August 2022
ॐलोक आश्रम: हम सुखी कैसे हो सकते हैं? भाग-1
हम सभी अपने जीवन में आनंद प्राप्त करना चाहते हैं। खुश होना चाहते हैं, सुखी होना चाहते हैं, हम सुखी कैसे हो सकते हैं। हम आनंद कैसे प्राप्त कर सकते हैं। जब हम खुश होते हैं या सुखी होते हैं तो क्या होता है। जब हम दुखी होते हैं तो क्या होता है।