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Tuesday, 16 August 2022 ॐलोक आश्रम: किस तरह से व्यक्ति प्रकृति के नियमों से बंधा है? भगवदगीता के तीसरे अध्याय में जब भगवान कृष्ण अर्जुन को यह बतला रहे हैं कि दो पहलू हैं एक तो व्यक्ति यह सोचता है कि मैं कोई काम ही न करूं। दूसरा व्यक्ति सोचता है कि मैं सारे संसार को छोड़कर जंगल में जाऊं और तपस्या करूं भगवान की और भगवान को पा लूं। ये दोनों ही रास्ते सिद्धि देने वाले नहीं हैं क्योंकि जो व्यक्ति कर्मों को छोड़कर भागता है वो भाग नहीं पाता। भगवान बता रहे हैं कि व्यक्ति किस तरह से प्रकृति के नियमों से बंधा हुआ है। किस तरह व्यक्ति जब भागने का प्रयास करता है तो किस तरह से प्रकृति के नियम उसे जकड़ लेते हैं और वह किस तरह से मिथ्याचारी बन जाता है।

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