Latest News on News in Hindi | Local News | District Updates - JBT
Saturday, 25 June 2022
ॐलोक आश्रम: कितनी विराट सभ्यता थी हमारी?
Friday, 24 June 2022
ॐलोक आश्रम: हमारे जीवन के लक्ष्य क्या हैं?
Wednesday, 22 June 2022
ॐलोक आश्रम:भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध क्यों होने दिया?
भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध क्यों होने दिया ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। प्रश्न इस बात का नहीं था कि लोग मरेंगे या नहीं मरेंगे, बात ये है कि हमें अपने विरुद्ध हुए अत्याचारों का प्रतिकार करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। हमें अन्याय का विरोध
Friday, 17 June 2022
ॐलोक आश्रम: सत्कर्म और आशीर्वाद मनुष्य के भाग्य को जरुर प्रभावित करते हैं
एक बार नारद जी नारायण- नारायण जपते पृथ्वी लोक से जा रहे थे तो एक स्त्री उन्हें रास्ते में मिली। वह स्त्री नारद जी से कहने लगी कि नारद जी अब जब आप विष्णु भगवान से मिलने जाए तो उनसे मेरे एक सवाल का जवाब जरूर पूछना कि मुझे संतान उत्पत्ति कब होगी?
Sunday, 12 June 2022
ॐ लोक आश्रम: संसार का सबसे अनमोल ख़ज़ाना सनातन धर्म
एक राजा का जन्मदिन था। सुबह जब वह घूमने निकला,तो उसने तय किया कि वह रास्ते मे मिलने वाले पहले व्यक्ति को पूरी तरह खुश व संतुष्ट करेगा। उसे एक भिखारी मिला। भिखारी ने राजा से भीख मांगी,तो राजा ने भिखारी की तरफ एक तांबे का सिक्का उछाल दिया।
Saturday, 11 June 2022
ॐलोक आश्रम: ‘बंद मुट्ठी लाख की खुल गई तो खाक की’ कैसे बनी कहावत ?
राजा ने अपने सैनिकों से पुजारी को बुलवाया और पुजारी से निवेदन किया कि वह मेरी वस्तु को नीलाम ना करें और न ही किसी को दिखाएँ, मैं तुम्हें पचास हजार की बजाय लाख रुपए देता हूं और इस प्रकार राजा ने लाख रुपए देकर अपनी प्रजा के सामने अपनी इज्जत को बचाया !
Tuesday, 07 June 2022
ॐलोक आश्रम: देवताओं में सबसे मुख्य गुण होता है की वे स्वम कर्ता होते हुए भी सदेव दूसरों पर कृतज्ञय भाव व्यक्त करते हैं
बालपन में अपनी चंचल चपलता से देवताओं का भी मान मोहने में निपुण जिन्होंने इन्द्र से वज्र से भी कठोर शरीर प्राप्त किया । सूर्यदेव ने अपने तेज का शतांश प्रदान किया तथा शास्त्र मर्मज्ञ होने का भी आशीर्वाद दिया।
Wednesday, 01 June 2022
ॐलोक आश्रम: जब तुलसी दास जी भगवान रुद्र से भाव विभोर प्रार्थना करते हैं
श्रीरामचरितमानस सप्तम सोपान- उत्तरकाण्ड चोपाई 108 में अष्ट छंदो के द्वारा मेरे आराध्य गोस्वामी तुलसीदास जी भगवान रुद्र से भाव विभोर प्रार्थना करते हैं । अष्टम छ्न्द के बाद भगवान भोले नाथ स्वम अवतरित होकर ब्राह्मण देव की मनोकामना पूर्ण करते है