3 साल से नहीं बढ़ी सैलरी, IT कंपनी का कर्मचारी बोला- अब ऑफिस से पहले और बाद में ऑटो चलाऊंगा
TCS कर्मचारी की Reddit पोस्ट ने नौकरीपेशा वर्ग की आर्थिक तंगी और वैकल्पिक आय की जरूरत को उजागर किया, जहां उसने ऑटो चलाकर कमाई की योजना बताई.

देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में शुमार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के एक कर्मचारी की Reddit पोस्ट ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है. इस शख्स ने दावा किया है कि उसे बीते 3 सालों से सैलरी में कोई बढ़ोतरी नहीं मिली, जिस कारण अब वो ऑफिस टाइम के पहले और बाद में ऑटोरिक्शा चलाने की योजना बना रहा है.
ये पोस्ट ना केवल वायरल हो गई, बल्कि इससे जुड़ी प्रतिक्रियाएं भी दिखाती हैं कि देश में कैसे सैलरीड प्रोफेशनल्स आर्थिक दबाव में वैकल्पिक कमाई के रास्ते तलाशने को मजबूर हो रहे हैं. Reddit पर इस यूजर की पहचान ठाणे निवासी एक गैर-टेक्निकल प्रोफेशनल के रूप में हुई है, जो TCS में कार्यरत है.
'अब ऑटो में इन्वेस्ट करूंगा'
पोस्ट में शख्स ने लिखा- मैंने इस साल एक बाइक खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन अब सोच रहा हूं कि एक ऑटोरिक्शा खरीदूं. उसे ऑफिस से पहले और बाद में खुद चलाऊंगा और जब नहीं चला पाऊंगा तो किराए पर दे दूंगा. उसने यह भी कहा कि जॉब स्विच की कोशिशें भी विफल रहीं, क्योंकि इस समय मार्केट में नौकरी के विकल्प बेहद सीमित हैं. उसकी कुल इन्वेस्टमेंट लिमिट ₹80,000 है.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
इस पोस्ट के बाद हजारों लोगों ने कमेंट्स किए और वैकल्पिक सुझाव दिए. कई यूजर्स ने फूड डिलीवरी, Rapido जैसे गिग प्लेटफॉर्म्स की सलाह दी, जिससे वो बाइक भी खरीद सकता है और आमदनी भी हो सकती है, इसके साथ ही ऑटो परमिट की झंझट से भी बचा जा सकता है. कुछ यूजर्स ने व्यावहारिक सुझाव देते हुए लिखा कि वह ऑटो को किसी ड्राइवर को दिन में किराए पर दे सकता है और सुबह स्कूल बच्चों को लाने-ले जाने जैसे तय रूट्स से कमाई कर सकता है.
एक अनुमान के मुताबिक, इससे ₹13,000 से ₹17,000 तक की मासिक आय हो सकती है.
'Rapido ने लिंक्डइन से बेहतर नेटवर्किंग दी'
एक यूजर ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए लिखा: मैंने लंबे वेकेशन के दौरान बोर हो कर 4–5 घंटे Rapido चलाया और ₹1,000 कमा लिए. इस दौरान कई दिलचस्प लोगों से मिला- VPs, डायरेक्टर्स… Networking के लिए LinkedIn से भी बेहतर साबित हुआ. हालांकि, कुछ प्रैक्टिकल यूजर्स ने चेतावनी दी कि सिर्फ ऑटो, फ्यूल और परमिट ही नहीं, भ्रष्टाचार के खर्चों का भी अनुमान लगाना जरूरी है.
Jbt news इस पोस्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं कर सका, लेकिन इस चर्चा ने ये जरूर उजागर कर दिया है कि मौजूदा दौर में कई नौकरीपेशा लोग वित्तीय दबावों से जूझ रहे हैं और पारंपरिक जॉब से परे गिग इकॉनॉमी या पार्ट टाइम इनकम के रास्ते तलाशने को मजबूर हो चुके हैं.


