एक ऐसा शाही राजा, जिसने खरीदी 7 Rolls Royce और उठवाया घरों का कचरा... किस्सा जो शायद ही आपने सुना हो!
1920 के दशक में, अलवर के महाराज जय सिंह प्रभाकर ने लंदन में Rolls Royce के शोरूम में अपमान का बदला लिया. जिसके बाद कंपनी ने माफी भेजी और ये घटना आज भी प्रसिद्ध है.

ब्रिटिश राज के दौर में जब भारत के राजा-रियासतें अपनी ताकत और प्रभाव को महसूस कराते थे. तब कई बार दुनिया के सबसे ताकतवर साम्राज्य के तहत दबे हुए भारतीयों को अपनी असल ताकत का अहसास होता था. ऐसा ही एक किस्सा राजस्थान के अलवर के महाराज जय सिंह प्रभाकर से जुड़ा है, जो ना केवल अपने शाही तेवरों के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि उनके साहसिक फैसले और जोश ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था.
1920 के दशक में ब्रिटिश साम्राज्य के शिखर पर थे और महाराज जय सिंह प्रभाकर ने इंग्लैंड की सबसे मशहूर कार कंपनी Rolls Royce को उनकी हैसियत का एहसास करवा दिया.
Rolls Royce शोरूम में हुआ अपमान
कहानी की शुरुआत होती है जब महाराजा जय सिंह प्रभाकर लंदन में Rolls Royce के शोरूम पहुंचे थे. अपने साधारण कपड़ों में जब वो शोरूम पहुंचे, तो कर्मचारियों ने उन्हें एक सामान्य व्यक्ति समझ लिया और उनका तिरस्कार करना शुरू कर दिया. शोरूम के कर्मचारियों ने उन्हें महंगी कारों के शोरूम में आने के लिए उचित सम्मान नहीं दिया और उनका अपमान किया. इस अपमान को महाराजा ने दिल से लिया और ठान लिया कि वो Rolls Royce को अपनी हैसियत का एहसास कराएंगे.
महाराजा का शाही बदला
अगले दिन, महाराजा जय सिंह प्रभाकर पूरी शाही गरिमा के साथ Rolls Royce के शोरूम पहुंचे. उन्होंने 7 Rolls Royce फैंटम कारों का ऑर्डर दिया और उन सभी की डिलीवरी भारत में करने को कहा. इसके साथ ही, उन्होंने शोरूम के कर्मचारियों से कह दिया कि वही व्यक्ति, जिसने उन्हें अपमानित किया था, वो इन महंगी कारों को लेकर भारत आए.
जब Rolls Royce की टीम भारत पहुंची और कारों की डिलीवरी देने के बाद वापस जाने की तैयारी कर रही थी, तो महाराजा ने इन कारों को नगरपालिका के कूड़ा उठाने की सेवा में लगा दिया. इन महंगी और शाही गाड़ियों से कूड़ा उठवाया गया. ये नजारा देख Rolls Royce के अधिकारियों के होश उड़ गए.
Rolls Royce का माफीनामा
जब Rolls Royce के अधिकारियों को ये समझ आया कि महाराजा जय सिंह प्रभाकर ने ऐसा क्यों किया, तो कंपनी के अधिकारियों ने लिखा हुआ माफी पत्र भेजा और ये स्वीकार किया कि उनके कर्मचारियों द्वारा किए गए इस अपमान के लिए वे जिम्मेदार थे. ये घटना आज भी एक प्रसिद्ध किस्से के रूप में जानी जाती है, जो ये दर्शाती है कि शाही रियासतों के राजा भी ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपने तरीके से संघर्ष कर सकते थे.


