ऑटो का किराया ₹175, बस से पहुंचे ऑफिस सिर्फ ₹12 में... बेंगलुरु में उद्यमी का अनोखा विरोध
बेंगलुरु में Ather Energy के सह-संस्थापक स्वप्निल जैन ने ₹175 के ऑटो किराए की जगह ₹12 में BMTC बस से सफर कर सोशल मीडिया पर ऑटो दरों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया.

बेंगलुरु में एक स्टार्टअप सह-संस्थापक ने सोशल मीडिया पर एक चर्चा छेड़ दी, जब उन्होंने 4 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए ₹175 का ऑटो किराया चुकाने की बजाय सिर्फ ₹12 में BMTC बस से सफर करना चुना. उन्होंने इसे मूर्खतापूर्ण ऑटो किराए के खिलाफ अपना छोटा-सा विरोध बताया.
Ather Energy के सह-संस्थापक स्वप्निल जैन ने इस अनुभव को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया, जहां उन्होंने बताया कि ये फैसला लेने के पीछे क्या लॉजिक था और कैसे BMTC की सुविधा ने उन्हें प्रभावित किया.
ऑटो का किराया देख लिया बस का रास्ता
स्वप्निल जैन ने लिखा- कई कारणों से मेरी दोनों गाड़ियां ऑफिस में पार्क थीं और मेरे पास कोई सवारी नहीं थी. सोचा कि सिर्फ 4 किलोमीटर की दूरी है, ऑटो बुक कर लेते हैं. लेकिन किराया था ₹175. फिर सोचा छोड़ो यार, सीधे बस से ऑफिस निकल जाता हूं – सिर्फ ₹12 में. उन्होंने इस कदम को एक छोटा-सा विरोध बताया और लिखा- यह मेरा विरोध है इन बेवकूफी भरे ऑटो किराए के खिलाफ.
BMTC की डिजिटल पेमेंट सुविधा को सराहा
स्वप्निल जैन ने BMTC की UPI पेमेंट सुविधा की भी तारीफ की. उन्होंने लिखा कि इससे कैश और चेंज की झंझट खत्म हो गई. इसके साथ ही, उन्होंने Switch Mobility की इलेक्ट्रिक बसों को भी आरामदायक बताया, हालांकि उन्होंने मामूली एक्सेलेरेशन लेग को पैसेंजर लोड में बदलाव से जोड़ा.
सोशल मीडिया पर मिला भरपूर समर्थन
इस पोस्ट पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. एक यूजर ने लिखा- BMTC पिछले एक साल से मेरी मुख्य सवारी है. 500D की फ्रीक्वेंसी अच्छी है और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी में भी दिक्कत नहीं. एक अन्य यूजर ने 'नम्मा BMTC' ऐप की सलाह दी, जिससे रियल टाइम बस ट्रैकिंग की जा सकती है. उन्होंने कहा कि 100% एक्यूरेट नहीं है, लेकिन काफी मददगार है. एक और कमेंट ने स्वप्निल के फैसले की सराहना करते हुए लिखा- अच्छा लगता है जब कोई इंसान छोटी-छोटी बातों पर पैसा बर्बाद नहीं करता. ये ₹100-₹150 बचाने की बात नहीं है, ये जमीन से जुड़े रहने का एहसास है.
ये वाकया सिर्फ एक पोस्ट या बस की सवारी का नहीं था, ये तेजी से बढ़ती ऑटो दरों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बीच की खाई को भी उजागर करता है. कई लोगों ने इसे शहरी जीवनशैली में बदलाव लाने वाला कदम बताया.


