बेटी की शादी में शगुन लेने का पिता का अनोखा अंदाज, पहन लिया QR कोड वाला सूट...वायरल हुआ Video
केरल की एक शादी में दुल्हन के पिता का अनोखा अंदाज वायरल हो गया जब उन्होंने अपनी कमीज पर पेटीएम क्यूआर कोड लगाया, ताकि मेहमान डिजिटल रूप से शगुन भेज सकें. इस अनोखे विचार ने सोशल मीडिया पर चर्चा छेड़ दी.

केरल : भारत में शादियां हमेशा से भव्यता, रंग और परंपरा का प्रतीक रही हैं. लेकिन केरल की एक शादी ने इन सबके बीच एक नया अध्याय जोड़ दिया संस्कृति और तकनीक का अद्भुत मेल. इस शादी में दुल्हन के पिता इंटरनेट पर तब छा गए जब उनकी कमीज की जेब पर पेटीएम का क्यूआर कोड पिन किया हुआ दिखाई दिया. मेहमान इस क्यूआर कोड को स्कैन कर डिजिटल रूप से “शगुन” और “आशीर्वाद” भेज सकते थे.
पिता का अनोखा अंदाज हुआ वायरल
Brides Father 🤣* in Kerala
New Marriage Trend 🙏🙏
தட் மணமகளின் அப்பா …
செலவு அப்படிங்க…!!!! pic.twitter.com/94HbpvXrJn— சங்கரிபாலா (@sankariofficial) October 29, 2025
डिजिटल इंडिया की तकनीक का सही इस्तेमाल
लोगों ने इस कदम को भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल पेमेंट संस्कृति का प्रतीक बताया. कई यूजर्स ने टिप्पणी की कि यह तरीका पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि इससे कागज के लिफाफों की बर्बादी नहीं होती और सभी लेन-देन का साफ डिजिटल रिकॉर्ड रहता है. एक यूजर ने लिखा, “यह तकनीक का सही इस्तेमाल है,” जबकि दूसरे ने कहा, “स्मार्ट कदम, इससे सुविधा भी और पारदर्शिता भी.”
नकद में लेना बेहतर है, कम से कम...
हालांकि, हर कोई इस विचार से सहमत नहीं था. कुछ लोगों ने कहा कि शादी जैसे पारंपरिक आयोजनों में तकनीक की दखल से उनकी भावनात्मक गरिमा कम होती है. एक यूजर ने टिप्पणी की, “नकद में लेना बेहतर है, कम से कम टैक्स तो नहीं लगता.” एक अन्य ने व्यंग्य करते हुए कहा, “अगर सब कुछ ऑनलाइन हो गया, तो अगली बार खाना भी ज़ोमैटो-स्विगी से ऑर्डर कर दें!”
परंपरा बनाम आधुनिकता, एक दिलचस्प बहस
यह घटना सिर्फ एक शादी की कहानी नहीं, बल्कि उस भारत की झलक है जो परंपराओं को बनाए रखते हुए भी आधुनिकता को गले लगा रहा है. जहाँ एक ओर यह कदम डिजिटल सशक्तिकरण का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठाता है कि क्या हमारी सामाजिक रस्में भी तकनीक के आगे झुक जाएँगी?
शादी” ने पूरे देश में चर्चा छेड़ दी
केरल की इस “क्यूआर कोड वाली शादी” ने पूरे देश में चर्चा छेड़ दी है. किसी के लिए यह भविष्य की दिशा में कदम है, तो किसी के लिए यह परंपरा से दूरी का प्रतीक. लेकिन इतना तय है कि यह दृश्य आने वाले समय में भारतीय शादियों के बदलते स्वरूप का संकेत है जहां “लिफाफे की जगह अब स्कैनर” ने अपनी जगह बना ली है.


