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इतिहास की सबसे क्रूर रानी! संबंध बनाने के बाद आशिकों को जिंदा देती थी जला

Queen Nzinga Mbande: अंगोला की रानी एनजिंगा एमबांदी को इतिहास की सबसे क्रूर रानी कहा जाता है. वे 17वीं शताब्दी में अफ्रीकी उपनिवेशवाद के खिलाफ जंग छेड़ने वाली एक महान योद्धा थीं. उनकी बहादुरी के साथ-साथ उनकी क्रूरता की कथाएं भी प्रचलित हैं, खासकर उनके हरम में रहने वाले पुरुषों के साथ संबंध बनाने के बाद उन्हें जिंदा जलाने की कहानी.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Queen Nzinga Mbande: इतिहास के पन्नों में अगर झांकें, तो अफ्रीकी देश अंगोला की रानी एनजिंगा एमबांदी का नाम एक बहादुर, चतुर और तेज दिमाग वाली योद्धा के रूप में सामने आता है. 17वीं शताब्दी में, उन्होंने अफ्रीका में यूरोपीय उपनिवेशवाद के खिलाफ जंग छेड़ी. उनकी बहादुरी की गाथा जितनी मशहूर है, उतनी ही विवादास्पद उनकी क्रूरता की कहानियां भी हैं.

कुछ लोग उन्हें सत्ता की भूखी और निर्दयी महिला के रूप में देखते हैं, जिसने अपने ही भाई को मौत के घाट उतार दिया. यहां तक कि उनके हरम में मौजूद पुरुषों को, संबंध बनाने के बाद, जिंदा जलवा देने की कथाएं भी प्रचलित हैं. लेकिन इतिहासकार इस बात पर सहमत हैं कि रानी एनजिंगा अफ्रीका की सबसे प्रभावशाली और चर्चित महिलाओं में से एक थीं.

रानी एनजिंगा का शुरुआती जीवन

एनजिंगा दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका के एनदोंगो और मुतांबा राज्यों की शासक थीं. उन्हें स्थानीय भाषा किमबांदु में "एनगोला" कहा जाता था, और यहीं से इस क्षेत्र का नाम "अंगोला" पड़ा. पुर्तगाली उपनिवेशवादियों के सोने-चांदी की तलाश में किए गए हमले के आठ साल बाद, एनजिंगा का जन्म हुआ. बचपन से ही उन्होंने अपने पिता किंग एमबांदी किलुंजी के साथ आक्रमणकारियों का सामना किया.

सत्ता की भूख या बदले की आग?

1617 में, उनके पिता की मौत के बाद उनके भाई एनगोला एमबांदी ने सत्ता संभाली. हालांकि, उनकी नेतृत्व क्षमता कमजोर थी, और उन्हें डर था कि उनकी बहन एनजिंगा उनके खिलाफ साजिश रच सकती हैं. इसी भय ने उन्हें एनजिंगा के बेटे को मौत की सजा देने पर मजबूर कर दिया. हालांकि, बढ़ते संघर्ष और पुर्तगाली हमलों का सामना करने में असमर्थ राजा ने अंततः अपनी बहन के साथ सत्ता साझा करने का फैसला किया. पुर्तगाली भाषा में निपुण और एक कुशल रणनीतिकार एनजिंगा, जल्द ही बातचीत के लिए लुआंडा पहुंचीं.

गुलामी का व्यापार और एनजिंगा की चतुराई

लुआंडा में, उन्होंने पहली बार देखा कि गुलामों को लाइन में खड़ा कर जहाजों में भरकर ब्राजील ले जाया जा रहा है. जब वह पुर्तगाली गवर्नर जोआओ कोरिए डे सोउसा से मिलने पहुंचीं, तो उनके लिए जमीन पर बैठने की व्यवस्था की गई थी. लेकिन एनजिंगा ने अपने नौकर को कुर्सी बनाकर उस पर बैठकर अपनी बराबरी का संदेश दिया.

धर्म परिवर्तन और संघर्ष की नई शुरुआत

शांति स्थापित करने के लिए एनजिंगा ने ईसाई धर्म अपनाया और अपना नाम एना डे सूजा रखा. लेकिन 1624 में, उनके भाई की संदिग्ध मौत के बाद, उन्होंने एनदोंगो की रानी के रूप में सत्ता संभाली.

क्रूर रानी या कुशल रणनीतिकार?

एनजिंगा के बारे में कई कहानियां हैं. कहा जाता है कि वह अपने हरम के पुरुषों से संबंध बनाने के बाद उन्हें जिंदा जलवा देती थीं. उनके हरम को "चिबदोस" कहा जाता था, जहां पुरुषों को महिलाओं के कपड़े पहनने पड़ते थे. इटालियन मिशनरी गिओवनी कावेजी के मुताबिक, हरम में पुरुषों को मौत तक लड़ने पर मजबूर किया जाता था, और विजेता को रानी के साथ एक रात बिताने का मौका मिलता था. लेकिन इसके बाद उन्हें भी मार दिया जाता था.

इतिहास में एनजिंगा का योगदान

इतिहासकारों का मानना है कि एनजिंगा सिर्फ क्रूर शासक नहीं थीं, बल्कि एक महान योद्धा, राजनयिक और रणनीतिकार भी थीं. उन्होंने पुर्तगालियों के खिलाफ डचों से गठजोड़ किया और अपने राज्य की सीमाओं की सुरक्षा की. ब्राजीली लेखिका जोस एडुआर्डो अगुआलुसा कहती हैं, "एनजिंगा युद्ध के मैदान में ही नहीं, बल्कि कूटनीति में भी अद्वितीय थीं. उन्होंने अफ्रीका में महिलाओं की भूमिका को पुनः परिभाषित किया." रानी एनजिंगा के जीवन ने इतिहासकारों और लेखकों को हमेशा आकर्षित किया है. उनकी क्रूरता और बुद्धिमत्ता के किस्से आज भी प्रेरणा और विवाद का हिस्सा बने हुए हैं.

Disclaimer: ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.

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22 January 2025, 02:01 PM IST

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