भारत का सोना इस मुस्लिम हमलावर ने लूटा, दिल्ली में बहा दी खून की नदियां और अंग्रेजों के लिए खोला रास्ता!
साल 1739 में नादिर शाह के भारत पर हमले ने मुगलों की ताकत को क्षीण कर दिया. दिल्ली में नरसंहार और लूटपाट की घटना ने मुगलों के पतन की शुरुआत की, जिससे अंग्रेजों को भारत में साम्राज्य स्थापित करने की प्रेरणा मिली.

साल 1739 में भारतीय उपमहाद्वीप पर एक ऐतिहासिक हमला हुआ. दिल्ली में कमजोर मुगल शासक मोहम्मद शाह की तख्त पर बैठने के बाद, ईरानी शासक नादिर शाह ने भारत पर आक्रमण किया. नादिर शाह की सेना ने हरियाणा के करनाल में मुगलों के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़ा, जिसमें मुगलों को भारी पराजय का सामना करना पड़ा. इस घटना ने ना केवल मुगलों की ताकत को नष्ट किया, बल्कि भारत में अंग्रेजों के साम्राज्य स्थापित करने का रास्ता भी खोला.
नादिर शाह का भारत पर आक्रमण
1739 में ईरानी शासक नादिर शाह ने भारत पर हमला किया, जब मुगलों की ताकत कमजोर हो चुकी थी. दिल्ली में कमजोर मुगल शासक मोहम्मद शाह के अधीन स्थिति और भी विकट हो गई थी. करनाल के युद्ध में नादिर शाह ने मुगलों को हराया और उनका पूरा सैन्य भाग गया. इसके बाद, मार्च 1739 में नादिर शाह दिल्ली पहुंचा और पूरी राजधानी में खौफ का माहौल बन गया.
दिल्ली में मचाया गया नरसंहार
नादिर शाह के दिल्ली पहुंचने के बाद एक स्थानीय झड़प में कुछ ईरानी सैनिकों की मौत हो गई. इस घटना से नादिर शाह इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने दिल्ली में नरसंहार का आदेश दे दिया. ईरानी सैनिकों ने सड़कों पर खून की नदियां बहा दी और करीब 30,000 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर निर्दोष नागरिक थे. ये घटना दिल्ली के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गई.
दिल्ली में नादिर शाह ने की लूटपाट
नादिर शाह ने दिल्ली में लूटपाट की. उसने सैकड़ों ऊंटों और घोड़ों पर सोने, हीरे और बहुमूल्य जवाहरात लादकर ईरान भेजे. नादिर शाह ने मुगलों का सबसे कीमती मयूर सिंहासन भी अपने साथ ले लिया, जो मुगलों का गौरव और सत्ता का प्रतीक था. हालांकि, नादिर शाह ने मुगलों पर शासन करने की योजना नहीं बनाई थी, लेकिन उसने मुगलों के शाही खजाने को पूरी तरह से लूट लिया.
कोहिनूर छीना और मुगलों का पतन
नादिर शाह ने मुगलों के खजाने में मौजूद प्रसिद्ध हीरे, कोहिनूर को भी छीन लिया. ये हीरा मुगलों के पास एक प्रतीकात्मक संपत्ति के रूप में था और इसे नादिर शाह ने अपनी जीत का प्रतीक बना लिया. इस हार के बाद मुगलों की ताकत पूरी तरह से क्षीण हो गई. नादिर शाह के हमले ने मुगलों को अंदर से कमजोर कर दिया और अंग्रेजों को भारत में अपने साम्राज्य स्थापित करने की प्रेरणा दी.
नादिर शाह के हमले का प्रभाव
भारत में मुगलों का शासन धीरे-धीरे समाप्त होने लगा और 1800 तक मुगलों का अस्तित्व केवल नाम मात्र का रह गया. इस समय तक अंग्रेजों ने भारत में अपनी जड़ें मजबूत कर ली थी और मुगलों के पतन के बाद भारत पर अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया. इतिहासकारों के अनुसार, नादिर शाह का आक्रमण मुगलों के पतन की शुरुआत थी, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीतिक धारा को हमेशा के लिए बदल दिया.


