सरकार का बड़ा फैसला, अब किसानों को बिना सिबिल स्कोर के मिलेगा लोन
खरीफ सीजन की शुरुआत से पहले किसानों को बड़ी राहत मिली है. सरकार ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे बिना सिबिल स्कोर पर जोर दिए किसानों को कृषि लोन दें. इस फैसले से अधिक किसानों को ऋण मिल सकेगा और खेती-किसानी को बढ़ावा मिलेगा.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के बैंकों को सख्त हिदायत दी है कि वे किसानों को कृषि ऋण देने में सिबिल स्कोर पर जोर न दें. उन्होंने यह बात सोमवार को सह्याद्री गेस्ट हाउस में आयोजित 167वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) की बैठक के दौरान कही. उन्होंने चेतावनी दी कि किसानों को लोन न मिलने से कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इससे किसानों की आत्महत्याएं भी बढ़ सकती हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पहले भी बैंकों को इस संबंध में निर्देश दे चुकी है, लेकिन इसके बावजूद कई बैंक सिबिल स्कोर को लेकर अड़े हुए हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि यह रवैया नहीं बदला गया, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि अतीत में ऐसे बैंकों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज की गई है.
रिजर्व बैंक की चेतावनी भी याद दिलाई
फडणवीस ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई बैंक शाखा किसानों से ऋण देने के लिए सिबिल स्कोर पर जोर देती है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंकों से कहा कि वे इस वर्ष के लिए तय ऋण वितरण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विशेष प्रयास करें. बैठक में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 44.76 लाख करोड़ रुपये की ऋण योजना को मंजूरी दी गई है.
“किसान हैं राज्य की रीढ़”
मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था पर जोर देते हुए कहा कि किसान राज्य की रीढ़ हैं और कृषि ही प्रदेश की समृद्धि का आधार है. उन्होंने कहा कि इस साल मौसम विभाग ने अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे अच्छी फसल की उम्मीद है. ऐसे में बैंकों को चाहिए कि वे किसानों को ऋण देकर अधिक से अधिक समर्थन दें.
कृषि को व्यापारिक दृष्टिकोण से देखने की जरूरत
फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार कृषि क्षेत्र के लिए विशेष निवेश नीति लागू कर रही है, जिसमें बैंकों की भूमिका बेहद अहम होगी. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने कृषि क्षेत्र में 5,000 करोड़ रुपये का वार्षिक निवेश लक्ष्य तय किया है. उन्होंने यह भी कहा कि कृषि को अब सिर्फ सहायक क्षेत्र नहीं, बल्कि एक व्यावसायिक उद्यम के रूप में देखा जा रहा है और बैंकों को इस बदलाव में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने अंत में दोहराया कि किसानों को ऋण देना न केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी है, बल्कि बैंकों के लिए लाभकारी भी है. यह बदलाव राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा और कृषि क्षेत्र में समावेशी विकास को बढ़ावा देगा.


