Budget 2025: स्वास्थ्य बजट में वृद्धि की मांग, उद्योग ने 3% जीडीपी खर्च का रखा प्रस्ताव
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र बजट 2025 से अपनी मांगों को लेकर काफी आशान्वित है. प्रमुख मुद्दों में बीमा प्रीमियम पर करों में कटौती, सरकारी फंडिंग में बढ़ोतरी, और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है. यह बजट स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार के साथ-साथ देश को वैश्विक स्वास्थ्य मानकों के करीब लाने का एक बड़ा मौका हो सकता है.

जैसे-जैसे 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025 पेश करने का समय नजदीक आ रहा है, स्वास्थ्य सेवा उद्योग अपनी उम्मीदों और मांगों को लेकर केंद्र सरकार की ओर देख रहा है. इस बार उद्योग की प्रमुख मांगें सरकारी फंडिंग में बढ़ोतरी, सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल का विस्तार और बीमा प्रीमियम पर करों में कटौती को लेकर हैं.
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार की उम्मीद के साथ, विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि स्वास्थ्य व्यय को बढ़ाकर भारत को वैश्विक औसत के करीब लाने की जरूरत है. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ महिलाओं की स्वास्थ्य जरूरतों पर विशेष ध्यान देने की बात भी हो रही है.
ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप हो स्वास्थ्य व्यय
स्टीडफास्ट न्यूट्रिशन के संस्थापक अमन पुरी ने स्वास्थ्य व्यय को जीडीपी के 2.5-3 प्रतिशत तक बढ़ाने की अपील की है. उन्होंने कहा, “भारत का स्वास्थ्य व्यय जीडीपी का केवल 1.5-2.1 प्रतिशत है, जो कि वैश्विक औसत से काफी कम है. यह हमारे बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य परिणामों पर सीधा असर डालता है. ग्रामीण क्षेत्रों और टियर-2, टियर-3 शहरों में प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना बहुत जरूरी है.” पुरी ने निवारक स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक ध्यान देने की वकालत की, जो वर्तमान में केवल 14 प्रतिशत सरकारी धन प्राप्त करती हैं.
महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा पर कर कटौती जरूरी
डॉ. स्मीत पटेल, मेफ्लावर महिला अस्पताल, अहमदाबाद के निदेशक, ने महिलाओं की स्वास्थ्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बीमा प्रीमियम पर कर में कटौती की मांग की. उन्होंने कहा, “महिलाओं के स्वास्थ्य देखभाल लागत अधिक होने के कारण उनके बीमा प्रीमियम भी अधिक होते हैं। हमें उम्मीद है कि बजट 2025 में सरकार इस पर विचार करेगी.”
डॉ. पटेल ने गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खिलाफ पहल बढ़ाने और एचपीवी वैक्सीन को अधिक सुलभ बनाने की बात पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “एचपीवी वैक्सीन गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की घटनाओं को 90 प्रतिशत तक कम कर सकती है, खासकर अगर कम उम्र में टीकाकरण हो.”
एंडोमेट्रियोसिस और मेनोपॉज पर जन जागरूकता जरूरी
डॉ. पटेल ने एंडोमेट्रियोसिस और मेनोपॉज जैसी स्थितियों के लिए नवाचार और उपचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई. उन्होंने कहा, “इन स्थितियों से जूझ रहे मरीजों के लिए जन जागरूकता अभियान और संसाधनों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए.”
स्वास्थ्य सेवा में कर प्रणाली की एकरूपता हो
ज़ियोन लाइफसाइंसेज के संस्थापक सुरेश गर्ग ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कर एकरूपता और शोध, नवाचार, निर्यात प्रोत्साहन की नीतियों पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “सरकार को ऐसी नीतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो न केवल स्वास्थ्य सेवा उद्योग की संभावनाओं को उजागर करें बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बनाएं.”
शहरी निम्न आय वर्ग के लिए योजनाओं का विस्तार
एंटाइटल्ड सॉल्यूशंस के सह-संस्थापक अंशुल खुराना ने शहरी निम्न आय वाले परिवारों के लिए लक्षित स्वास्थ्य सेवा नीतियों पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “आयुष्मान भारत कार्यक्रम का विस्तार कर और मानक स्वास्थ्य कवरेज योजनाओं को बढ़ावा देकर इन परिवारों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच दी जा सकती है.”
बजट 2025 से उम्मीदें
स्वास्थ्य सेवा उद्योग का मानना है कि बजट 2025 में इन मांगों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है. इससे न केवल भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली मजबूत होगी, बल्कि यह इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और न्यायसंगत भी बनाएगा.


