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GDP ने लगाई छलांग, महंगाई को मिली लगाम-भारत बना दुनिया की आर्थिक रेस का सरताज

  भारत की आर्थिक रफ्तार ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में सभी अनुमानों को पीछे छोड़ दिया। देश की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर दमदार वापसी की है। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में GDP में तेज़ बढ़ोतरी और महंगाई में गिरावट ने सरकार और नीति-निर्माताओं को राहत दी है। मजबूत घरेलू मांग, निवेश और नियंत्रित महंगाई ने विकास की रफ्तार को नई ऊर्जा दी है।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

Business News: वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत की GDP 8.2% की तेज़ दर से बढ़ी, जो बाज़ार के अनुमान (7.3% से 7.8%) से कहीं अधिक है। इस विकास का मुख्य कारण रहा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती, केंद्र सरकार की ओर से भारी पूंजीगत व्यय और शहरी खपत में बड़ा उछाल। सेवा क्षेत्र (Services Sector) ने भी दो अंकों की वृद्धि दर्ज की, जिससे साफ है कि यह ग्रोथ एकतरफा नहीं, बल्कि व्यापक है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि कोविड के बाद भारत की अर्थव्यवस्था ने स्थिर गति पकड़ ली है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 9.6% की वृद्धि दर्ज की, जबकि सेवा क्षेत्र (खासकर आईटी और वित्तीय सेवाएं) 10.4% की दर से बढ़ा। यह साफ दिखाता है कि भारत की ग्रोथ अब केवल उपभोग पर नहीं, बल्कि उत्पादन और सेवाओं की मजबूती पर भी आधारित है। कृषि क्षेत्र ने भी मौसमीय चुनौतियों के बावजूद हल्का-फुल्का सहयोग दिया. 

Fससे यह आर्थिक तस्वीर और भी संतुलित बनती है। ग्रामीण इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और MSMEs के लिए आसान क्रेडिट ने इंडस्ट्रियल आउटपुट को प्रोत्साहित किया है। वहीं, डिजिटलीकरण और डिजिटल भुगतान प्रणाली ने सेवा क्षेत्र को नई गति दी है। कंपनियों की क्षमता उपयोग दर बढ़ी है, जो मांग और निवेश के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है। कोरोना काल के बाद जो सप्लाई चेन बाधाएं थीं, वे अब लगभग पूरी तरह बहाल हो चुकी हैं। इससे भारत की उत्पादन अर्थव्यवस्था में स्थायित्व और विस्तार के नए संकेत मिल रहे हैं।

महंगाई पहुंची दो साल के निचले स्तर पर

उसी दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई घटकर 4.3% पर आ गई, जो पिछले तिमाही में 5.1% थी। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य और ईंधन की कीमतों में स्थिरता तथा सरकार की आपूर्ति श्रृंखला रणनीति का नतीजा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस पर सकारात्मक संकेत दिए हैं और माना जा रहा है कि अब ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं। खाद्य पदार्थों की खुदरा कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर स्टॉक रिलीज़ और आयात नियमों में लचीलापन दिखाया। पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क में कटौती ने परिवहन लागत को नियंत्रित किया, जिससे व्यापक प्रभाव पड़ा। टमाटर, प्याज़ जैसे अस्थिर वस्तुओं के दाम भी अब अधिक स्थिर हो गए हैं। इससे आम उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति पर सकारात्मक असर पड़ा है। लगातार तीन तिमाहियों से महंगाई नीचे की ओर है, जिससे आर्थिक नीति निर्धारण में भरोसा बढ़ा है।

निवेश और मांग में दिखा नया जोश

निजी निवेश और पूंजी निर्माण में 6.8% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि घरेलू खपत में 5.4% का सुधार देखने को मिला। ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टरों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। इसका असर शेयर बाज़ार पर भी दिखा, जहां GDP रिपोर्ट के बाद बड़ी तेजी दर्ज की गई। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में निवेश की भूख अब केवल बड़े कॉर्पोरेट तक सीमित नहीं, बल्कि स्टार्टअप्स और क्षेत्रीय उद्योगों तक फैल गई है। बैंकिंग सेक्टर में NPA का स्तर गिरने से कर्ज वितरण आसान हुआ है। डिजिटल क्रेडिट सिस्टम और UPI जैसी सुविधाएं खपत को सहारा दे रही हैं। त्योहारों और शादियों के मौसम ने भी मांग को नया बूस्ट दिया है। शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं के बीच खर्च करने का भरोसा वापस आता दिखाई दे रहा है।

अब RBI की नीति हो सकती है नरम

जब विकास तेज हो रहा हो और महंगाई नियंत्रण में हो, तब RBI अब नीतिगत नरमी (neutral to dovish stance) की ओर बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त वर्ष 2026 में भी भारत तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रह सकता है। अब सरकार की ज़िम्मेदारी होगी कि वह इस ग्रोथ को टिकाऊ बनाए रखे और राजकोषीय अनुशासन बनाए रखे। ब्याज दरों में कटौती का माहौल बनने से कर्ज लेना और सस्ता हो सकता है, जिससे छोटे उद्यमों को भी राहत मिलेगी। साथ ही, देश की क्रेडिट ग्रोथ में स्थायित्व आने की उम्मीद है। मुद्रा नीति समिति की बैठक में इस मुद्दे पर गहराई से चर्चा होने की संभावना है। अगर रेट स्थिर रहते हैं, तो कंज्यूमर लोन, हाउसिंग लोन और SME फाइनेंस को बढ़ावा मिलेगा। यह संकेत भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और नीति निर्धारण की परिपक्वता को दर्शाता है।

वैश्विक जगत में भारत की गूंज

IMF और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं ने भी भारत की GDP पर प्रतिक्रिया दी है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अब एक ‘गोल्डीलॉक्स ज़ोन’ में प्रवेश कर चुका है—जहां ग्रोथ मज़बूत है और महंगाई नियंत्रण में है। यह स्थिति भारत को FDI और ग्लोबल पॉलिसी में एक अहम खिलाड़ी बना सकती है। फिच और मूडीज़ जैसी रेटिंग एजेंसियों ने भी भारत की ग्रोथ आउटलुक को पॉज़िटिव करार दिया है। भारत की मजबूत डेमोग्राफी, राजनीतिक स्थिरता और डिजिटल प्रगति विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रही है। अमेरिका, जापान और यूरोप की कई कंपनियां अब सप्लाई चेन डाइवर्सिफिकेशन में भारत को प्रमुख हब मान रही हैं। डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों की सफलता इस गूंज को और धार दे रही है। आने वाले वर्षों में भारत का ग्लोबल व्यापारिक प्रभाव और व्यापक हो सकता है।

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16 June 2025, 12:54 PM IST

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