चीन की नींद उड़ाने भारत पहुंचा ‘फ्लाइंग शिकारी’ — F-35 की पहली झलक से ही खलबली
रक्षा जगत में अचानक हलचल तब मच गई जब ब्रिटेन का एडवांस्ड F-35 फाइटर जेट बिना किसी आधिकारिक घोषणा के भारत में लैंड करता दिखा। इस पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर की मौजूदगी ने चीन की नींद उड़ा दी है और इंडो-पैसिफिक में नई रणनीति की आहट दे दी है।

National News: भारतीय वायुसेना के अधिकारियों और डिफेंस वॉचर्स ने रविवार सुबह उस वक्त चौंकाने वाला नज़ारा देखा जब ब्रिटिश वायुसेना का F-35 लाइटनिंग II लड़ाकू विमान अचानक एक भारतीय एयरबेस पर उतर गया। यह जेट दुनियाभर में अपनी एडवांस्ड स्टील्थ टेक्नोलॉजी और युद्धक क्षमताओं के लिए जाना जाता है। इसे लेकर न तो कोई आधिकारिक कार्यक्रम घोषित था और न ही भारत-UK जॉइंट एक्सरसाइज़ की कोई जानकारी थी।
क्यों कांपता है चीन इस जेट से?
F-35 Lightning II एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि हवा में उड़ता हुआ युद्ध नियंत्रण केंद्र है, जो दुश्मन के रडार सिस्टम को ऐसे पार कर जाता है मानो वो हो ही न। इसमें ऐसी स्टील्थ टेक्नोलॉजी है जो इसे किसी भी मिशन को अजेय बनाती है—चाहे वो सर्जिकल स्ट्राइक हो या दुश्मन की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर रणनीति को विफल करना। चीन के लिए यह जेट J-20 जैसे स्वदेशी विमानों की हार की पटकथा लिख सकता है। साउथ चाइना सी और इंडो-पैसिफिक में, जहां चीन अपनी समुद्री पकड़ बनाना चाहता है, यह जेट उसकी सबसे बड़ी रुकावट बन सकता है।
एक विमान नहीं, एक राजनीतिक संकेत
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस ‘अनसंग विज़िट’ का मकसद केवल सैन्य तकनीकी साझेदारी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक अलर्ट है। भारत और पश्चिमी देशों के बीच बदलते समीकरण, खासकर चीन की सीमाओं पर आक्रामकता के बीच, यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ रक्षा नहीं, प्रतिघात की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। यह लैंडिंग इस बात का इशारा भी है कि यूके और भारत के बीच एक संभावित डिफेंस पैक्ट पर काम हो रहा है—जिसमें F-35 जैसे जेट भारत की सैन्य संरचना का हिस्सा बन सकते हैं।
भारत की क्षेत्रीय स्थिति को नई धार
F-35 की उपस्थिति इस बात की तरफ इशारा करती है कि भारत अब सिर्फ पारंपरिक हथियारों के भरोसे नहीं है, बल्कि वह तकनीकी श्रेष्ठता को अपने पक्ष में इस्तेमाल करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है। यह जेट न केवल पाकिस्तान के JF-17 के लिए एक घातक जवाब होगा, बल्कि LAC जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर भी भारतीय वायुसेना को अभूतपूर्व निगरानी और प्रतिक्रिया शक्ति देगा। आने वाले समय में यह भारत की सामरिक नीति को एक नई धार देगा।
स्पीड, स्टील्थ और सटीकता का त्रिशूल
F-35 की गति 1.6 मैक से अधिक है, लेकिन उसकी असली ताकत उसकी अदृश्यता और डिजिटल कमांड टेक्नोलॉजी में है। यह दुश्मन के पूरे डेटा नेटवर्क को जाम या एक्सेस कर सकता है, जिससे ‘पहले देखो, पहले मारो’ की रणनीति सच हो जाती है। एक बार यह जेट ऑपरेशन मोड में आ जाए, तो पूरा युद्धक्षेत्र इसके डिजिटल कंट्रोल में आ सकता है। यह ‘एक्शन विदाउट एक्सपोजर’ की परिभाषा है।
भारत की एंट्री हो सकती है एलीट क्लब में
अमेरिका, यूके, इज़राइल और जापान जैसे देशों की फोर्स पहले से F-35 का इस्तेमाल कर रही है। अब भारत का इस जेट के प्रति बढ़ता झुकाव संकेत दे रहा है कि वह भी वैश्विक सुरक्षा गठबंधनों में ज्यादा सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है। अगर भारत ने इसे औपचारिक रूप से शामिल किया, तो वह दुनिया की सबसे उन्नत वायु सेनाओं की कतार में शामिल हो जाएगा। यह कदम भारतीय डिफेंस इंडस्ट्री के लिए भी अंतरराष्ट्रीय निवेश के नए रास्ते खोल सकता है।


