ईरान-इजरायल जंग तेज़, अमेरिका ने भेजे 24 टैंकर प्लेन; क्या अब होगा सीधा हमला?
फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, रविवार देर रात तक अमेरिका ने कम से कम 24 KC-135 और KC-46 टैंकर विमानों को पूर्व दिशा में भेजा है. यह तैनाती अभूतपूर्व मानी जा रही है और विशेषज्ञों के अनुसार, इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है, जो बड़े सैन्य ऑपरेशन के संकेत हैं.

मध्य पूर्व में ईरान और इज़रायल के बीच तेज़ होते संघर्ष के बीच अमेरिका ने एक चौंकाने वाला सैन्य कदम उठाया है. अमेरिकी वायुसेना ने एयर रिफ्यूलिंग टैंकर विमानों की अब तक की सबसे बड़ी तैनाती शुरू कर दी है, जिसने वैश्विक रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है.
फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, रविवार (15 जून) देर रात तक अमेरिका के सैन्य ठिकानों से कम से कम 24 KC-135 और KC-46 एयर रिफ्यूलिंग टैंकर विमानों को अटलांटिक महासागर पार कर यूरोप की ओर भेजा गया है. और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. ये विमान सीधे तौर पर अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों और नाटो बलों को समर्थन देने के लिए माने जा रहे हैं.
आधिकारिक बयान नहीं, लेकिन संकेत साफ हैं
पेंटागन की ओर से इस तैनाती पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय सैन्य विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह तैनाती केवल “एहतियातन” नहीं, बल्कि किसी संभावित लंबे ऑपरेशन का हिस्सा हो सकती है. पिछले अनुभवों को देखें तो इराक और सीरिया में अमेरिकी हस्तक्षेप के दौरान भी इसी तरह के एयर रिफ्यूलिंग टैंकर विमानों की मदद से अमेरिका ने अपने और सहयोगी देशों के लड़ाकू विमानों की ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाया था.
लंबी दूरी के हमलों के लिए रणनीतिक तैयारी?
KC-135 और KC-46 जैसे टैंकर विमान वॉर ज़ोन से सैकड़ों किलोमीटर दूर रहकर हवा में फाइटर जेट्स को ईंधन भरने की सुविधा देते हैं. इनका उपयोग विशेष रूप से तब होता है जब ऑपरेशन किसी दुश्मन देश की गहराई तक किया जाना हो. वर्तमान समय में जब इज़रायली लड़ाकू विमान ईरान के अंदरूनी इलाकों में हमले कर रहे हैं, तो ऐसे टैंकर विमानों की उपयोगिता और भी अधिक बढ़ जाती है.
क्या अमेरिका जंग में उतरने की तैयारी कर रहा है?
हालांकि अमेरिका सीधे इस टकराव का हिस्सा नहीं है, लेकिन टैंकर विमानों की इतनी बड़ी संख्या में तैनाती यह संकेत देती है कि अमेरिका न सिर्फ नाटो बलों के समर्थन में आगे आ सकता है, बल्कि अगर इज़रायल और ईरान के बीच टकराव और गहरा होता है, तो अमेरिका की सैन्य भागीदारी भी संभव है.
इज़रायल के हमलों में बढ़ा रहा समर्थन?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इज़रायली वायुसेना ने ईरान के अंदर मौजूद मिसाइल और ड्रोन बेस को सटीक निशाना बनाया है. इन हमलों की रेंज को देखते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि ये मिशन केवल तभी संभव हैं जब रास्ते में हवा से हवा में ईंधन भरने की व्यवस्था हो. अमेरिका के टैंकर विमानों की तैनाती ऐसे हमलों को स्थायी और नियमित बनाए रखने में मदद कर सकती है.


