स्विगी के वैल्यूएशन में भारी गिरावट, आईपीओ के बाद 51,273 करोड़ रुपये की हानि
Swiggy Share Price: स्विगी, देश की एक प्रमुख फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनी, के वैल्यूएशन में बड़ी गिरावट आई है और यह अपने उच्चतम स्तर से 50 प्रतिशत तक कम हो गया है. इससे निवेशकों को 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

Swiggy Share Price: स्विगी, देश की एक प्रमुख फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनी, के वैल्यूएशन में बड़ी गिरावट आई है और यह अपने उच्चतम स्तर से 50 प्रतिशत तक कम हो गया है. इससे निवेशकों को 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
नवंबर 2024 में स्विगी ने अपना आईपीओ लाया था, जिसके बाद दिसंबर 2024 तक इसका वैल्यूएशन 1,32,800 करोड़ रुपये (16 अरब डॉलर) तक पहुंच गया था. लेकिन 21 फरवरी 2025 तक यह घटकर 81,527 करोड़ रुपये (9.82 अरब डॉलर) रह गया, जो कि 51,273 करोड़ रुपये की गिरावट को दिखाता है. स्विगी का वैल्यूएशन शेयर बाजार में लिस्टिंग के समय 12.7 अरब डॉलर था.
स्विगी के शेयर में कमजोरी
स्विगी के शेयर की लिस्टिंग नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 420 रुपये और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर 412 रुपये पर हुई थी. हालांकि, अब इसमें गिरावट आई है और शेयर की कीमत 360 रुपये हो गई है. इस साल की शुरुआत से अब तक स्विगी के शेयर में 33 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हो चुकी है.
बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लॉक-इन पीरियड का असर
वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में कंपनी ने उम्मीद से कमजोर नतीजे पेश किए, जिसके कारण स्विगी के शेयर में और गिरावट आई है. अक्टूबर से दिसंबर तक की अवधि में स्विगी को 799.08 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जबकि पिछली तिमाही में यह घाटा 625.53 करोड़ रुपये था. इसके अलावा, आईपीओ के बाद शेयर पर लगने वाले लॉक-इन पीरियड के खत्म होने का भी असर पड़ा.
वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में घाटा बढ़ा
29 जनवरी को 2.9 मिलियन शेयरों का लॉक-इन खत्म हुआ था. इसके बाद 31 जनवरी को 3 लाख और 10 फरवरी को सबसे अधिक 65 मिलियन शेयर अनलॉक हुए. 19 फरवरी को भी 1 लाख शेयर अनलॉक हुए. कोई बड़ी डील नहीं होने के कारण, 14 फरवरी को स्विगी के शेयर की कीमत 323 रुपये तक गिर गई थी.
फूड डिलीवरी सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा
स्विगी ने नवंबर 2024 में अपना आईपीओ लाया था, जिसमें 390 रुपये के इश्यू प्राइस पर बाजार से पैसे जुटाए थे. लेकिन शेयर बाजार में गिरावट और फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण स्विगी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.


