डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी के लिए मार्केट तैयार, शेयर बाजार में आएगा भूचाल!
Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप की वापसी भारतीय बाजारों के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकती है. डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी से भारतीय शेयर बाजारों में हलचल तेज हो गई है. उनकी नीतियों का प्रभाव सकारात्मक या नकारात्मक, दोनों हो सकता है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनकी व्यापार-हितैषी नीतियां भारतीय निवेश और व्यापार के लिए कितनी अनुकूल साबित होती हैं.

Donald Trump: डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा व्हाइट हाउस में वापसी की खबर ने वैश्विक बाजारों के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजारों में भी हलचल मचा दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा. यह समय निवेशकों के लिए सतर्कता और दूरदर्शिता से कदम उठाने का है. ट्रंप की वापसी भारतीय बाजारों के लिए संभावनाओं और चुनौतियों दोनों का संकेत देती है.
भारतीय बाजार में पहले भी डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का प्रभाव देखा गया है. उनके पहले कार्यकाल के दौरान, शेयर बाजार में तेजी और मंदी दोनों देखी गईं. अब सवाल यह है कि ट्रंप 2.0 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का बाजार पर असर
डोनाल्ड ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति भारतीय बाजारों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकती है. हालांकि, यूएस-इंडिया संबंधों की मजबूती से आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और रक्षा क्षेत्रों में लाभ मिलने की संभावना है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर एच-1बी वीजा नियमों में सख्ती की गई तो भारतीय आईटी कंपनियों के लिए यह एक बड़ा झटका होगा.
चीन पर सख्त रुख से भारत को लाभ या हानि?
ट्रंप का चीन पर कड़ा रुख भारत को रणनीतिक साझेदार के रूप में मजबूत कर सकता है. इससे रक्षा और विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ सकता है. हालांकि, यह भू-राजनीतिक तनाव को भी जन्म दे सकता है, जिससे बाजारों में अस्थिरता बढ़ने का खतरा है.
ट्रंप की फॉसिल फ्यूल समर्थक नीतियां
ट्रंप की फॉसिल फ्यूल समर्थक नीतियां कच्चे तेल की कीमतों को स्थिर रख सकती हैं. यह भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए सकारात्मक है. लेकिन उनकी अप्रत्याशित शैली वैश्विक अस्थिरता को बढ़ा सकती है, जिससे भारतीय बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
मुद्रा और निवेश पर प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से अमेरिकी डॉलर की मजबूती और भारतीय रुपये की कमजोरी हो सकती है. इससे विदेशी निवेशकों का बहिर्वाह तेज हो सकता है, जो भारतीय शेयर बाजार के लिए नुकसानदेह होगा. अक्टूबर 2024 से अमेरिकी डॉलर सूचकांक में 9% की वृद्धि हुई है. इसके अलावा, 10-वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड 4.8% तक पहुंचने से उभरते बाजारों पर दबाव बढ़ा है.
भारतीय निर्यातकों और आईटी क्षेत्र पर असर
ट्रंप 2.0 की नीतियों से इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न-आभूषण और फार्मा क्षेत्रों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती और कॉर्पोरेट आय में सुधार से निवेशकों को स्थिरता मिल सकती है.


